शहीद भाई की प्रतिमा को राखी बांधने के लिए 800 किलोमीटर दूर से आती है बहन, भावुक करदेगी भाई बहन की ये कहानी
वैसे तो भारत मे कई तरह तरह के त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते है, भारत मे हर दिन ऐसा लगता है जैसे त्यौहार हो। त्यौहारों के अवसरों पर ज्यादातर वो लोग जो अपने घर से दूर रहकर जॉब कर रहे है त्योहारों के अवसर पर अपने घर आते है।
इसी तरह रक्षाबंधन भाई बहन का एक ऐसा त्यौहार है जिसे भाई बहन के प्यार का प्रतीक माना जाता है। इस त्यौहार पर दूर दूर से बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए आती है। रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति के अनुसार श्रवण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह भाई बहन का त्योहार एक दूसरे को डोर में बांधता है। इसी प्यार को निभाने के लिए राजस्थान के फतेहपुर में एक बहन अपने शहीद भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए 800 किलोमीटर दूर से आती है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टिका लगाकर रक्षा का बंधन बांधती है जिसे राखी कहते है। इस पवित्र बंधन को शहीद धर्मवीर की बहन 17 वर्षो से लगातार निभाते आ रही है। उषा इस रिश्ते के पवित्र बन्धन को निभाने के लिए उषा बहुत दूरी तय करती है।
उषा ने बताया कि, भाई का बंधन तो हमेशा दिलो में रहता ही है और यही वजह है कि भाई के शहीद होने के 17 साल गुजरने के बाद भी वह उसकी प्रतिमा को राखी बांधना नही भूलती। उषा ने रक्षाबंधन पर अपने भाई को याद करते हुए कहा कि भले ही मेरा भाई वास्तव में जीवित नही है लेकिन यादो में वो हमेशा जिंदा है और मेरे आखिरी सांस तक मेरे दिल में जिंदा रहेगा।
देश सेवा में शहीद हुए भाई के लिए यह प्रेम देशवासियों के लिए एक मिसाल है। दिनवा लाडखानी गांव में शहीद धर्मवीर सिंह शेखावत की बहन उषा कंवर 17 साल से शहीद भाई की प्रतिमा को राखी बांधने के लिए अहमदाबाद से यहां आती है।
बहन उषा कंवर का कहना है कि भाई देश की सेवा के लिये खुशि खुशि शहीद हो गया, उसकी बहुत याद आती है। भले ही मेरा भाई धर्मवीर इस दुनियां में नही है लेकिन वो हमारे दिल मे तो जिंदा है। लोग उसे भले ही मरा हुआ समझे लेकिन वो हमें नई राह दिखाने के लिए जिंदा है। बहन उषा कंवर ने जब भाई धर्मवीर को कलाई बांधी तो वो भावुक होकर रोने लगी।
बतादे कि धर्मवीर सिंह 2005 में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। उषा कंवर के भाई धर्मवीर सिंह कश्मीर के लाल चौक में तैनात थे। ये पूरी कहानी अकेले दिनवा की नही है बल्कि पूरे शेखावटी की है।
रक्षाबंधन पर शहीद भाइयो की प्रतिमाओ पर बहन राखी बांधती है। क्योंकि उन सब बहनों के लिए उनका भाई आज भी उनके दिलों में जीवित है।
वैसे तो आमतौर सब छुट्टियो में घर आते है, परन्तु आर्मी के जवानों को 12 महीने में से मुश्किल ही 1 माह घर रहने को मिलता है कई बार आपातकाल स्थीति में आर्मी के जवानों को बीच छुट्टियो में से ही बुला लिया जाता है और तरह जवान सिमा पर तैनात होकर अपनी जान की परवाह किये बगैर देश को सुरक्षित रखते है। भारतीय जवान अपनी जान देश के लिए न्यौछावर कर देते है परंतु देश को आंच नही आने देते।
कश्मीर की जमा देने वाली ठंड और लगातार माईनस में तापमान रहने के बावजूद हमारे देश के जवान अपनी ड्यूटी निभाते है। देश के जवान बॉर्डर पर तैनात रहते है तब जाकर आप और हम सकून से सो पाते है। रक्षाबंधन पर हजारों बहने अपने शहीद भाइयो की प्रतिमाओं पर राखी बांधकर अपने भाइयों को याद करती है।
ऐसे ही हजारों बहने अपने फौजी भाइयो को सीमा पर राखी भेजती है ताकि वो देश की सुरक्षा कर सके।दिनवा लाडखानी गांव शहीदो के गांव के नाम से भी प्रसिद्ध है गांव में कई शहीदो की प्रतिमाएं लगी हुई है. इस गांव देश के कई युवा धरती माँ की रक्षा करते हुए शहीद हुए है। आज भी इन युवाओं की प्रतिमाएं इस गांव में स्थित है कई वर्षों से इस गांव की शहीद जवानों की बहने उनकी प्रतिमाओं पर राखी बांधती है और अपने भाई को ह्रदय से जीवित मानती है। इस गांव के कई युवा देश की सेवा उन्हें देखकर आज भी लाखों युवा सेना में जाने का सपना देखते है।