किस देश मे पानी नहीं हैं?

उन देशों के बारे में जहां पानी की कमी है

पानी, जो जीवन का आधार है, दुनिया के कुछ हिस्सों में इतनी गंभीर समस्या बन चुका है कि लोग इसकी कमी से जूझ रहे हैं। जल संकट एक वैश्विक मुद्दा है, पर कुछ देश ऐसे भी हैं जहां पानी की उपलब्धता न के बराबर है। इस लेख में हम उन देशों पर चर्चा करेंगे, जहां पानी की कमी सबसे अधिक गंभीर है और इसके पीछे के कारणों को समझने की कोशिश करेंगे।

1. **सऊदी अरब**
सऊदी अरब एक ऐसा देश है जहां जल की प्राकृतिक स्रोतों की अत्यंत कमी है। यह देश मुख्य रूप से रेगिस्तानी क्षेत्र है और यहां की जलवायु बहुत शुष्क है। बारिश की मात्रा भी बहुत कम है, जिससे जल संसाधन सीमित हो जाते हैं। सऊदी अरब अपने पेयजल की जरूरतों को पूरा करने के लिए समुद्री जल को शुद्ध करने (डिसैलिनेशन) पर निर्भर है। हालांकि, इस प्रक्रिया में बहुत अधिक ऊर्जा और धन खर्च होता है। कृषि के लिए भी पानी का बड़ा हिस्सा भूमिगत जल स्रोतों से निकाला जाता है, जो सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है।

2. **जॉर्डन**
जॉर्डन पश्चिम एशिया का एक छोटा सा देश है, जहां पानी की भारी कमी है। इसकी अधिकांश भूमि शुष्क और अर्ध-शुष्क है। जॉर्डन की जल आपूर्ति का बड़ा हिस्सा भूमिगत स्रोतों से आता है, परन्तु इन स्रोतों पर अत्यधिक दबाव है। इसके अलावा, देश की बढ़ती आबादी और पड़ोसी देशों से शरणार्थियों की बड़ी संख्या ने जल संकट को और गंभीर बना दिया है। जॉर्डन में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता दुनिया में सबसे कम है, और यह स्थिति आने वाले समय में और खराब होने की संभावना है।

3. **लीबिया**
लीबिया, उत्तरी अफ्रीका का एक और देश, पानी की भारी कमी से जूझ रहा है। लीबिया का बड़ा हिस्सा सहारा रेगिस्तान में स्थित है, जहां बारिश बहुत कम होती है। हालांकि, लीबिया ने अपने “ग्रेट मैन-मेड रिवर” परियोजना के जरिए भूमिगत जल को निकालने और वितरित करने का प्रयास किया है, फिर भी यह समाधान दीर्घकालिक नहीं है क्योंकि भूमिगत जल स्रोत धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं। पानी की इस कमी का असर लोगों के जीवन और देश की अर्थव्यवस्था पर बुरी तरह से पड़ा है।

4. **यमन**
यमन भी पानी की कमी से बुरी तरह प्रभावित है। यह देश कई सालों से गृहयुद्ध और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है, जिससे उसकी जल आपूर्ति प्रणाली नष्ट हो चुकी है। देश के अधिकांश जल स्रोत या तो सूख चुके हैं या दूषित हो गए हैं। यमन में अधिकांश लोग साफ पानी तक पहुंचने में असमर्थ हैं, जिससे वहां स्वच्छता और स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, यमन में हजारों लोग पानी से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित हैं, और यह समस्या दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है।

5. **सोमालिया**
सोमालिया पूर्वी अफ्रीका का एक और देश है जो लंबे समय से पानी की कमी का सामना कर रहा है। यहां की जलवायु अर्ध-शुष्क और शुष्क है, और बारिश बहुत ही अनियमित होती है। सोमालिया के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की कमी से कृषि और पशुपालन बुरी तरह प्रभावित होते हैं। इसके अलावा, देश में दशकों से चले आ रहे राजनीतिक अस्थिरता और संघर्ष ने स्थिति को और खराब कर दिया है। बहुत से लोग पानी की कमी के कारण अपने घरों को छोड़कर पलायन करने पर मजबूर हैं।

6. **इजराइल**
इजराइल एक और ऐसा देश है जहां पानी की कमी हमेशा से एक चुनौती रही है। हालांकि, इजराइल ने पानी के संकट से निपटने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और जल प्रबंधन की प्रभावी योजनाएं अपनाई हैं। इजराइल ने जल पुनर्चक्रण (वॉटर रीसाइक्लिंग) और डिसैलिनेशन जैसी तकनीकों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया है, जिससे वह अपने जल संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग कर पा रहा है। फिर भी, प्राकृतिक जल स्रोतों की कमी इस देश के लिए एक दीर्घकालिक चुनौती बनी हुई है।

7. **कतर**
कतर दुनिया के सबसे शुष्क देशों में से एक है। यहां की जलवायु अत्यधिक गर्म और शुष्क है, और बारिश की मात्रा बहुत ही कम होती है। कतर अपने पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए समुद्र के पानी को डिसैलिनेट करके पीने योग्य बनाता है। देश में कृषि और घरेलू उपयोग के लिए पानी का बड़ा हिस्सा इसी तरीके से प्राप्त किया जाता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में बहुत अधिक ऊर्जा का उपयोग होता है, और इसके पर्यावरणीय प्रभाव भी हैं।

8. **संयुक्त अरब अमीरात (यूएई)**
यूएई, विशेष रूप से दुबई और अबू धाबी जैसे क्षेत्रों में पानी की भारी कमी है। यहां की प्राकृतिक जल आपूर्ति बहुत सीमित है, और अधिकांश पानी समुद्री जल को शुद्ध करके प्राप्त किया जाता है। यूएई ने पानी की कमी से निपटने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों और नवाचारों का उपयोग किया है, जैसे कि ड्रिप इरिगेशन और जल पुनर्चक्रण। फिर भी, जल संकट यहां एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है, खासकर बढ़ती आबादी और शहरीकरण के कारण।

निष्कर्ष

पानी की कमी का प्रभाव न केवल जीवन की गुणवत्ता पर पड़ता है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्थिरता पर भी असर डालता है। जल संकट का सामना कर रहे ये देश तकनीकी नवाचारों, जल पुनर्चक्रण और डिसैलिनेशन जैसी प्रक्रियाओं का सहारा ले रहे हैं, लेकिन यह दीर्घकालिक समाधान नहीं है। जल संकट से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर जल प्रबंधन, संरक्षण और जागरूकता की आवश्यकता है। पानी बचाना और इसके उपयोग में सावधानी बरतना हम सभी की जिम्मेदारी है, ताकि भविष्य में जल की कमी से जूझने वाले देशों की संख्या में वृद्धि न हो।

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