भारत में यूपीएससी को सबसे श्रेष्ठ और उच्च दर्जे की परीक्षा माना जाता है। जहां कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद नौजवान अपना सब कुछ एक आईएएस अफसर बनने के लिए दांव पर लगा देते हैं वही आज आपको एक ऐसी सच्ची घटना से अवगत करवाते हैं जिसमे एक आईएस पति ने अपनी प्रेग्नें-ट पत्नी के लिए कलेक्टर का पद छोड़ दिया। यही नहीं इसके बाद उन्होंने अपने बच्चे को भी आंगनबाड़ी में भर्ती करवाया। यह सबसे अलग और मिसाल पेश करने का काम आईएएस अफसर नितिन भदौरिया ने किया है। इसके बाद किस्मत ने दोनों को ही फिर से आईएस बना दिया।
आईएएस अफसर ने प्रेग्नें-ट पत्नी के लिए छोड़ा पद
आईएएस अधिकारी नितिन भदौरिया ने 2016 में डीएम का पद हासिल किया। इसके बाद उन्होंने पत्नी के प्रेगनें-सी की वजह से इसे छोड़ दिया और डीएम से छोटे पद सीडीओ पर उन्हें तैनात किया गया। नितिन ने कहा कि उस समय उसकी पत्नी प्रेग्नें-ट थी और वह बिल्कुल भी नहीं चाहते थे कि पत्नी का ख्याल नहीं रखा जा सके इसलिए उन्होंने डीएम का छोड़ दिया था। लेकिन इसके बाद लोगों ने उनकी काफी तारीफ की है और सब का मानना था कि अपने बच्चे के लिए वह यह सब कर रहे हैं।
किस्मत ने दोनों को ही बना दिया कलेक्टर
जब 2016 में नितिन भदौरिया ने अपनी गर्भवती पत्नी के लिए डीएम का पद छोड़ दिया था। जिसके बाद 2018 में दोनों की ऐसी किस्मत पलटी कि पति और पत्नी दोनों ही डीएम बन गए। नितिन भदोरिया की पत्नी का नाम स्वाति भदौरिया है और वह चमोली जिले की डीएम है जबकि नितिन भदौरिया ने अल्मोड़ा में जिला मजिस्ट्रेट का पद ग्रहण किया है।
बच्चे को जन्म के बाद आंगनबाड़ी में किया भर्ती
नितिन भदोरिया ने अपनी पत्नी और बच्चे के लिए कुछ समय के लिए डीएम का पद तक छोड़ दिया था। यह एक मिसाल बनकर सामने आया लेकिन इसके बाद और सही मायने से काम करते हुए नितिन भदौरिया और उसकी पत्नी ने बच्चे के जन्म होने के बाद बच्चे को आंगनवाड़ी में भर्ती करवाया जिससे लोगों में उनकी काफी वाहवाही हुई। इस दंपति ने यह सिद्ध कर दिया कि पद चाहे कितना भी बड़ा हो लेकिन जो नियम कानून कायदे देश के लिए बनाए गए हैं उनका पालन करना सबसे जरूरी होता है। इसी चीज की मिसाल पेश करते हुए इस आईएएस दंपत्ति ने वह कर दिखाया जो हर एक आईएएस ऑफिसर नहीं कर सकता।