शिवलिंग पर जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए

शिवलिंग हिंदू धर्म में भगवान शिव के प्रतीक रूप में पूजनीय है। श्रद्धालु भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए शिवलिंग पर जल, दूध, फल, फूल, और अन्य वस्त्र चढ़ाते हैं। विशेष रूप से जल चढ़ाना एक प्राचीन और पवित्र परंपरा है, जिसे शिव पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों और अवसरों पर शिवलिंग पर जल चढ़ाने से बचने की सलाह दी जाती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि शिवलिंग पर जल कब और क्यों नहीं चढ़ाना चाहिए।

शिवलिंग पर जल चढ़ाने की महत्ता

भगवान शिव को जल अर्पित करना श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। यह न केवल धार्मिक परंपराओं के तहत किया जाता है, बल्कि इसे पर्यावरण और शारीरिक शुद्धि के रूप में भी देखा जाता है। जल को शुद्धता और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है, और शिवलिंग पर जल अर्पित करने से भक्त को शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। परंतु कुछ धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के आधार पर, कुछ खास समय और अवसरों पर शिवलिंग पर जल अर्पण करना वर्जित माना जाता है।

शिवलिंग पर जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए?

1. **सूर्यास्त के बाद**:

हिंदू धर्म के अनुसार, सूर्यास्त के बाद किसी भी देवता की पूजा करना वर्जित माना गया है, और विशेष रूप से शिवलिंग पर जल चढ़ाना मना है। ऐसा माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद भगवान शिव ध्यान या विश्राम की अवस्था में होते हैं। इस समय उन्हें जल या अन्य पूजन सामग्रियों से परेशान नहीं करना चाहिए। इसलिए, शिवलिंग पर जल अर्पित करने का सही समय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक ही होता है।

2. **अशुद्ध अवस्था में**:

शास्त्रों के अनुसार, शरीर की शुद्धता पूजा के समय अनिवार्य मानी जाती है। यदि व्यक्ति किसी भी प्रकार की अशुद्ध अवस्था में है, जैसे कि रजस्वला महिला, बीमार व्यक्ति, या किसी शोक की स्थिति में हो, तो उस समय शिवलिंग पर जल अर्पण नहीं करना चाहिए। पूजा के लिए शुद्ध और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करना और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक होता है।

3. **गुरुवार और रविवार को**:

कुछ विशेष परंपराओं के अनुसार, गुरुवार और रविवार को शिवलिंग पर जल अर्पण करने से बचना चाहिए। गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है और इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाना धार्मिक दृष्टि से उचित नहीं माना जाता है। इसी तरह, रविवार को सूर्यदेव की पूजा का विशेष दिन होता है, और उस दिन शिवलिंग पर जल अर्पण करने से व्यक्ति के सूर्य ग्रह पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

4. **शिवलिंग पर दोबारा जल अर्पण**:

यह मान्यता है कि एक बार शिवलिंग पर जल अर्पण करने के बाद, उसी जल को दोबारा शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल प्राचीन काल से ही शुद्ध और पवित्र माना जाता है, और उसे पुनः अर्पण करना अनुचित माना गया है। यह जल शिवलिंग के पास की धारा में प्रवाहित कर दिया जाता है या फिर किसी पवित्र स्थान पर रखा जाता है।

5. **ग्रहण के समय**:

सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय किसी भी प्रकार की पूजा करना निषिद्ध माना गया है। इस समय शिवलिंग पर जल चढ़ाना या कोई भी धार्मिक कार्य करना अशुभ फलदायक हो सकता है। ग्रहण के समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है, और यह पूजा की पवित्रता को नष्ट कर सकता है। इसलिए ग्रहण के दौरान शिवलिंग पर जल अर्पित करने से बचना चाहिए।

6. **राहुकाल में**:

राहुकाल वह समय होता है जो किसी भी शुभ कार्य के लिए वर्जित माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस समय में पूजा, हवन, या किसी भी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करना शुभ नहीं होता। राहुकाल में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से व्यक्ति को वांछित फल की प्राप्ति नहीं होती और यह अशुभ परिणाम दे सकता है।

शिवलिंग पर जल चढ़ाने के नियम:

1. **साफ और शुद्ध जल का उपयोग करें**: शिवलिंग पर हमेशा साफ और शुद्ध जल ही अर्पित करें। जल गंदा या दूषित नहीं होना चाहिए।

2. **शिवलिंग की दिशा का ध्यान रखें**: शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय उसकी दिशा का ध्यान रखना चाहिए। उत्तर दिशा में मुख रखकर जल अर्पित करना सबसे शुभ माना जाता है।

3. **अन्य पूजन सामग्रियों के साथ जल चढ़ाएं**: जल के साथ-साथ दूध, बेलपत्र, भस्म, और शहद भी शिवलिंग पर अर्पित करना अच्छा माना जाता है।

4. **जल चढ़ाते समय मंत्रों का उच्चारण करें**: शिवलिंग पर जल अर्पण करते समय “ओम नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है।

निष्कर्ष:

शिवलिंग पर जल चढ़ाना हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण और पूजनीय कर्म माना जाता है, लेकिन इसके साथ ही कुछ समय और स्थितियों का ध्यान रखना भी आवश्यक है। सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच शिवलिंग पर जल अर्पण करना शुभ होता है, जबकि सूर्यास्त के बाद, राहुकाल, ग्रहण, अशुद्ध अवस्था और गुरुवार व रविवार को जल चढ़ाने से बचना चाहिए। पूजा करते समय शुद्धता और श्रद्धा का पालन करें, जिससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो सके।

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