हमारा देश कई सारी सांस्कृतिक विरासतो से भरा हुआ है। हमारे देश में हर साल कोई ना कोई बड़े स्तर का सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित किया जाता है जिसमें देशभर के श्रद्धालु अपने अपने धर्म की आस्था को लेकर सम्मिलित होते हैं। ऐसा ही एक बड़ा सांस्कृतिक और धार्मिक महोत्सव होता है कुंभ मेला।
कुंभ मेले में देश और दुनिया से लाखों लोग अपनी आस्था को प्रकट करने के लिए आते हैं। इस कुंभ मेले में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहते हैं नागा सन्यासी। नागा सन्यासी कुंभ में अलग अलग तरीके के करतब दिखाकर लोगों को अपनी ओर आकृष्ट करते रहते हैं।
केवल 18 इंच हाइट है इस नागा साधु की
उन्हीं नागा साधुओं में से एक थे स्वामीनारायण नंद। पिछले साल कुंभ मेला हरिद्वार में आयोजित किया गया था। हरिद्वार को भारत की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में पहचाना जाता है। कुंभ मेले के समय पूरी हरिद्वार नगरी धर्म आस्था श्रद्धा और विश्वास से सराबोर हो चुकी थी। लाखों की संख्या में लोग इस कुंभ मेले का आनंद लेने के लिए पहुंचे थे लेकिन सभी का ध्यान था नागा साधु स्वामी नारायण नंद के ऊपर। स्वामी नारायण नंद की विशेषता की बात करें तो उनकी उम्र 55 साल है लेकिन उनकी हाइट केवल 18 इंच है। यही कारण है कि लोग उन्हें देखने के लिए आतुर हो रहे थे।
केवल एक रोटी और दूध पीकर भरते हैं पेट
स्वामी नारायण नंद का वजन केवल 50 किलो है। स्वामी नारायण नंद जूना अखाड़े के नागा साधु है और वह साल 2010 में जूना अखाड़ा में शामिल हुए थे। बता दें कि स्वामी नारायण मंत्र को चलने फिरने में काफी दिक्कत होती है इसलिए उन्हें रोजमर्रा के जरूरी काम करने के लिए भी किसी सहायक की आवश्यकता पड़ती है। स्वामी नारायण नंद की विशेषता के बारे में बात की जाए तो वह रोजाना केवल एक रोटी और दूध पी कर ही अपना पेट भरते हैं इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं खाते। यह बात काफी हैरान कर देने वाली है कि कोई आदमी कितने साल से सिर्फ एक रोटी और दूध पी कर ही जिंदा है।
साल 2010 में बने थे नागा साधु
इतना कम खाना खाने के बावजूद भी स्वामीनारायण नंद जब भजन करने बैठते हैं तो शिव भक्ति में पूरी तरह से लीन हो जाते हैं। बता दे कि स्वामी नारायण नंद का असली नाम सत्यनारायण पाठक था। लेकिन नागा सन्यासी की दीक्षा लेने के बाद उनका नाम स्वामी नारायण आनंद रख दिया गया। स्वामी नारायण नंद मूल रूप से झांसी के रहने वाले हैं।
लेकिन अब वह अपने गुरु गंगा नंद दास के साथ बलिया में रहते हैं। उन्होंने बताया कि साल 2010 में उन्होंने कुंभ मेले में ही नागा सन्यासी बनने की दीक्षा ली थी और तब से वह शिव भक्ति में ही अपना पूरा जीवन व्यतीत कर रहे हैं।