हमारे देश में महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए हर क्षेत्र में उचित स्थान मिल रहा है और उन्हें अवसर भी मिल रहे हैं। महिलाएं भी इस अवसर का अच्छा उपयोग करके अपने आपको समाज के समक्ष सही साबित करने में सफल हो रहे हैं। खेल से लेकर रक्षा के क्षेत्र में भी महिलाएं अपने नाम का झंडा बुलंद कर रही है।
अब महिलाएं राजनीति में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और कामयाब होकर दिखा रहे हैं। ऐसी ही एक 24 साल की युवती के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जो सरपंच बन चुकी है और सबसे पढ़ी-लिखी सरपंच है।
ईस तरह से रखा राजनीति में कदम
जिस घटनाक्रम के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं यह घटना राजस्थान के मेवात इलाके की है। राजस्थान के मेवात की रहने वाली शहनाज खान सरपंच के पद के लिए चुनी गई है। शहनाज खान एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है और उनका जन्म मेवात के एक छोटे से गांव में हुआ था। हालांकि उन्होंने अपना पूरा बचपन शहर में रहकर बिताया और पढ़ाई भी शहर से ही की लेकिन उनकी यादें और उनकी पहचान उनके गांव से हमेशा जुड़ी रही।
जिस गांव से वह सरपंच चुनी गई उस गांव में उनके दादा किसी समय सरपंच हुआ करते थे लेकिन साल 2017 में उन्हें उसे क्षेत्र से चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिला इसलिए शहनाज अपने दादा की जगह पर चुनाव में खड़ी हो गई।
एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है शहनाज
आमतौर पर हम देखते हैं कि पढ़ाई लिखाई करने वाले लोग राजनीति में ज्यादा ध्यान नहीं देते और दखल भी नहीं देते। ज्यादातर महिलाएं तो बिल्कुल ही राजनीति से दूर रहती है। लेकिन शहनाज एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बावजूद भी डॉक्टरी के क्षेत्र में ना जाते हुए उन्होंने राजनीति के माध्यम से अपने गांव के लोगों की सेवा करने का रास्ता चुना।
इस रास्ते पर चलने के लिए उन्होंने अपना पक्का मन बनाया और चुनाव में खड़ी हो गई। शहनाज को भी जनता का काफी सहयोग मिला और जनता ने उन्हें सरपंच के पद पर आसीन कर दिया।
गांव की महिलाओं के लिए काम करना चाहती हैं शहनाज
सरपंच बनने के बाद शहनाज ने कहा कि वह अपने गांव के लिए कुछ नया करना चाहती है। उन्होंने बताया कि रोटी कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी सुविधाएं तो जरूरी है ही इसके साथ ही स्वास्थ्य और शिक्षा भी काफी ज्यादा जरूरी है। शहनाज जिस इलाके से आती है उस इलाके में महिलाओं को घर से बाहर निकलना भी मना है। ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं का काफी कम योगदान देखने को मिलता है।
सहना चाहती है कि वे बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के अभियान को ज्यादा महत्व देकर उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए गांव की बेटियों को प्रेरित करें। इसी सपने को लेकर उन्होंने राजनीति में कदम रखा और पहले ही प्रयास में कामयाब भी हो गई।