भारत में शराब के उपभोग को लेकर विभिन्न राज्य अलग-अलग स्थान रखते हैं। शराब की खपत कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे राज्य की संस्कृति, सामाजिक परंपराएं, आर्थिक स्थिति, और सरकार की शराब नीति। हालांकि, कुछ राज्य ऐसे हैं जहां शराब का उपभोग अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है। इनमें से प्रमुख राज्य हैं केरल, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र। इन राज्यों में शराब का सेवन सामाजिक और सांस्कृतिक तौर पर भी व्यापक रूप से स्वीकृत है।
केरल:
केरल को लंबे समय से भारत में शराब के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक माना जाता है। 2015 से पहले, केरल में शराब की खपत सबसे ज्यादा थी, और यहां की सरकार को शराब बिक्री से भारी राजस्व प्राप्त होता था। राज्य की सरकार ने कई बार शराब पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की, लेकिन यहां की संस्कृति में शराब का उपयोग एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। राज्य में कामकाजी वर्ग से लेकर उच्च समाज तक, शराब का सेवन आम बात है। सरकार ने शराब पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, ताड़ी जैसे पारंपरिक पेयों की बिक्री और सेवन में वृद्धि देखी गई।
पंजाब और हरियाणा:
पंजाब और हरियाणा, जो कि भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी हिस्से में स्थित हैं, दोनों राज्यों में शराब की खपत उच्च स्तर पर है। पंजाब की संस्कृति में शराब विशेष स्थान रखती है, खासकर शादी-विवाह और त्योहारों में। “पिंड” (गांव) की पार्टियों से लेकर उच्च समाज की बैठकों में, शराब का सेवन खुलेआम होता है। पंजाब की लोकसंस्कृति और गीतों में शराब को एक प्रमुख तत्व के रूप में देखा जाता है। इसी प्रकार, हरियाणा में भी शराब की खपत बढ़ी है, जहां लोगों के बीच शराब पीने की संस्कृति एक आम बात मानी जाती है।
तमिलनाडु:
तमिलनाडु में शराब की खपत भी बेहद अधिक है, और राज्य सरकार द्वारा संचालित TASMAC (तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन) की दुकानें राज्य में शराब बेचने का एकमात्र साधन हैं। तमिलनाडु सरकार शराब बिक्री से बड़ी मात्रा में राजस्व अर्जित करती है, और राज्य के विभिन्न हिस्सों में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ी है। यहां तक कि ग्रामीण इलाकों में भी शराब की दुकानों की पहुंच है, जिससे इसका उपयोग व्यापक हो चुका है।
कर्नाटक:
कर्नाटक एक और प्रमुख राज्य है जहां शराब की खपत बहुत अधिक है। राज्य की राजधानी बेंगलुरु, जिसे भारत का “पब सिटी” भी कहा जाता है, यहां पर युवा और कामकाजी वर्ग के बीच शराब का सेवन एक सामान्य बात है। कर्नाटक सरकार भी शराब की बिक्री से भारी राजस्व प्राप्त करती है, और यह राज्य के लिए महत्वपूर्ण आय स्रोतों में से एक है। बेंगलुरु में नाइटलाइफ़ और पब संस्कृति के कारण शराब की खपत अधिक है, विशेषकर युवा वर्ग के बीच।
महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र, विशेषकर मुंबई और पुणे जैसे बड़े शहरों में, शराब की खपत भी अधिक है। मुंबई, भारत की व्यावसायिक राजधानी होने के कारण, यहां की जीवनशैली में शराब का उपयोग सामान्य हो गया है। बड़े शहरों में नाइटलाइफ और सामाजिक बैठकों में शराब का सेवन आम बात है। इसके अलावा, महाराष्ट्र में वाइन उत्पादन भी बड़े पैमाने पर होता है, जिससे यहां की शराब संस्कृति और समृद्ध होती जा रही है।
### शराब की सामाजिक और सांस्कृतिक भूमिका:
भारत में शराब का सेवन न केवल एक व्यक्तिगत विकल्प है, बल्कि यह कई समुदायों और समाजों में सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से स्वीकृत भी है। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में जहां शराब पीना सामाजिक सभाओं और त्योहारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, वहीं दक्षिण भारतीय राज्यों में शराब का सेवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। शादी-विवाह, त्योहारों और पार्टियों में शराब का सेवन एक सामान्य चलन बन गया है।
शराब नीति और नियंत्रण:
हालांकि भारत में कई राज्य शराब से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए नियंत्रण और प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन शराब का सेवन लगातार बढ़ता जा रहा है। बिहार, गुजरात, नागालैंड, और मणिपुर जैसे राज्यों में पूर्ण शराबबंदी लागू है, फिर भी अवैध शराब का कारोबार और उपभोग इन राज्यों में एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
निष्कर्ष:
भारत में शराब की खपत राज्य दर राज्य अलग-अलग होती है, और इसके लिए सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक कारक जिम्मेदार हैं। जबकि केरल, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में शराब की खपत अधिक है, कुछ राज्यों ने शराबबंदी लागू करने की कोशिश की है। हालांकि, शराब का सेवन एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बना हुआ है, खासकर जब यह शराब के दुरुपयोग और इसके स्वास्थ्य और सामाजिक परिणामों की बात आती है।