भारत की तीन सबसे गंदी नदियां
भारत नदियों की भूमि है, जहां कई पवित्र और ऐतिहासिक नदियां बहती हैं। ये नदियां हमारे सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। लेकिन तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और लापरवाहीपूर्ण प्रबंधन के कारण कई नदियां बुरी तरह प्रदूषित हो चुकी हैं। इनमें से तीन प्रमुख नदियां, जो अत्यधिक प्रदूषित मानी जाती हैं, गंगा, यमुना और गोमती हैं।
1. गंगा नदी
गंगा नदी भारत की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र नदियों में से एक है। इसे हिंदू धर्म में माता का दर्जा दिया गया है, लेकिन आज यह नदी गंभीर प्रदूषण का शिकार है।
प्रदूषण के कारण:
- धार्मिक गतिविधियां: गंगा के किनारे कई धार्मिक गतिविधियां होती हैं, जैसे कि स्नान, पूजा और मृतकों का अंतिम संस्कार। इससे नदी में फूल, राख और अन्य अवशेष फेंके जाते हैं।
- औद्योगिक कचरा: गंगा के तट पर स्थित कई कारखाने अपना रासायनिक कचरा सीधे नदी में डाल देते हैं।
- घरेलू अपशिष्ट: गंगा में हर दिन लाखों लीटर सीवेज और घरेलू कचरा प्रवाहित किया जाता है।
- अनियंत्रित जल निकासी: कृषि के लिए भारी मात्रा में गंगा का पानी निकाला जाता है, जिससे जल प्रवाह कम हो गया है और प्रदूषण की समस्या बढ़ गई है।
परिणाम:
गंगा का जल अब पीने या स्नान के लिए सुरक्षित नहीं रहा। इसमें घातक बैक्टीरिया और रसायन पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
2. यमुना नदी
यमुना भारत की दूसरी सबसे लंबी सहायक नदी है, लेकिन यह भी अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी है। खासकर दिल्ली और आगरा जैसे शहरों से गुजरते समय इसका पानी काले रंग का हो जाता है।
प्रदूषण के कारण:
- नालों का पानी: दिल्ली में यमुना में 22 नाले गिरते हैं, जो अपशिष्ट, प्लास्टिक और अन्य हानिकारक तत्व नदी में मिलाते हैं।
- औद्योगिक इकाइयां: यमुना के किनारे बसे उद्योग हर दिन टनों केमिकल वेस्ट नदी में डालते हैं।
- धार्मिक गतिविधियां: नदी में मूर्तियों का विसर्जन और धार्मिक कचरा भी प्रदूषण बढ़ाने का बड़ा कारण है।
परिणाम:
यमुना का लगभग 60% जल अब जहरीला हो चुका है। इसका उपयोग कृषि, पीने के पानी या अन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता। इसके कारण आसपास के क्षेत्रों में पानी से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।
3. गोमती नदी
गोमती नदी उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक है, जो लखनऊ जैसे बड़े शहर से गुजरती है। यह भी गंभीर रूप से प्रदूषित हो चुकी है।
प्रदूषण के कारण:
- घरेलू कचरा: लखनऊ और अन्य शहरों के हजारों घरों का सीवेज गोमती में गिरता है।
- औद्योगिक प्रदूषण: नदी के किनारे स्थित चीनी मिल, चमड़ा उद्योग और अन्य कारखानों का कचरा सीधे नदी में प्रवाहित किया जाता है।
- शहरीकरण: तेजी से बढ़ते शहरीकरण ने नदी के जलग्रहण क्षेत्र को संकुचित कर दिया है, जिससे उसका स्वाभाविक प्रवाह बाधित हो गया है।
परिणाम:
गोमती का जल अब मछली पालन और कृषि के लिए भी अनुपयुक्त हो गया है। इसके अलावा, यह नदी क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा रही है।
नदियों को बचाने के उपाय
- कचरा प्रबंधन: औद्योगिक और घरेलू कचरे को नदियों में बहाने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
- सफाई अभियान: नदियों की सफाई के लिए विशेष अभियान चलाए जाने चाहिए।
- कानूनी उपाय: प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाएं।
- जागरूकता: लोगों को नदियों के महत्व और उनके संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
- विकल्प तलाशना: उद्योगों के लिए वैकल्पिक कचरा निपटान प्रणाली विकसित करनी चाहिए।
निष्कर्ष
गंगा, यमुना और गोमती जैसी नदियां केवल जल स्रोत नहीं हैं; वे हमारे इतिहास, संस्कृति और जीवन का हिस्सा हैं। यदि इन्हें प्रदूषण से बचाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियां इनका महत्व केवल किताबों में पढ़ेंगी। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी नदियों को स्वच्छ और संरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करें।