हमारे देश में महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अनेक सामाजिक उपक्रम और जनजागृति अभियान चलाए जाते हैं। महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार के द्वारा कई प्रयास भी किए जाते हैं। परंतु यह प्रयास कुछ घटनाओं के सामने आने के बाद खोखले ही साबित होते दिखाई देते हैं।
देश में आज भी कई जगह पर महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार या अन्याय किया जाता है। देश एक तरफ इतनी प्रगति कर रहा है और देश में आज भी कई लोग पुरानी मानसिकता को धारण किए बैठे हुए हैं। महिलाओं को आज भी उनके पहनावे के लिए टोका जा रहा है। ऐसी ही एक घटना असम के सोनितपुर से सामने आई है।
दरअसल हुआ यूं कि असम के सोनितपुर में एक 19 वर्षीय लड़की किसी एग्जाम कोविड-19 लिए पहुंची थी। एग्जाम व्हेन्यु पर तो उस लड़की को किसी प्रकार की कोई रोक नहीं लगाई गई परंतु जब वह लड़की एग्जाम हॉल में इंटर करने के लिए गई तब उसे रोक लिया।
दरअसल वह लड़की शॉर्ट्स पहन कर आई थी और इसीलिए उस लड़की को एग्जाम हॉल में बैठने से रोका गया। जी हां दोस्तों यह बात सुनने में काफी अजीब लग रही होगी कि किसी के व्यक्तित्व का आकलन उसके कपड़ों से कैसे किया जा सकता है। परंतु ऐसा सच में हुआ है। हालांकि बाद में उस लड़की को एक अजीब सा उपाय करके एग्जाम हॉल में बैठने की परमिशन दे दी गई।
जानकारी के मुताबिक बीते 15 सितंबर को असम के सोनितपुर में तेज पुर के गिरजानंद कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी में एक परीक्षा आयोजित की गई थी। यह परीक्षा एग्रीकल्चरल विभाग की एंट्रेंस एग्जाम थी। इस एंट्रेंस एग्जाम में 100 भाग लेने के लिए कई विद्यार्थी आए हुए थे। उन्हीं में से एक थी 19 वर्ष की लड़की जुबली तामूली जोकि पास के ही गांव से एंट्रेंस एग्जाम देने आई थी। जुबली एग्जाम व्हेन्यू पर पहुंची तो वहां पर उस पर किसी भी प्रकार की रोक नहीं लगाई गई। परंतु जैसे ही जुबली एग्जाम हॉल में प्रवेश करने के लिए गई वहां पर चेकिंग कर रहे एक अधिकारी ने उसे रोक लिया।
जुबली ने अपने पूरे डाक्यूमेंट्स दिखाएं। जुबली के पास हॉल टिकट से लेकर आईडेंटिटी कार्ड और आधार कार्ड तक सभी डॉक्यूमेंट मौजूद थे बावजूद इसके उसे अंदर नहीं जाने दिया। कारण पूछने पर वह अधिकारी ने बताया कि जुबली शॉर्ट्स पहन कर आई है इसलिए वह एग्जाम हॉल में नहीं बैठ सकती। तभी जुबली ने उस अधिकारी से बहस बाजी की और पूछा कि आपको एग्जामिनेशन के रूल्स और रेगुलेशंस में यह बात मिशन करनी चाहिए थी की एग्जाम हॉल में कैसे कपड़े पहन कर आनी चाहिए। इसलिए समय पर यदि आप मुझे कपड़ों के लिए रोक रहे हैं तो इस समय मैं क्या करूं?
जुबली ने बताया की “प्रॉपर चेक करने के बाद अथॉरिटीज़ ने मुझे एग्ज़ामिनेशन वैन्यू में जाने की परमिशन दे दी थी। जब मैं एग्ज़ाम हॉल में जा रही थी, तब एक ऑब्ज़र्वर ने मुझे साइड में खड़ा कर दिया और इंतज़ार करने को कहा, बाकी स्टूडेंट्स अंदर जाते रहे। मेरे पास मेरे सारे डॉक्यूमेंट्स थे, एडमिट कार्ड, आधार कार्ड सबकुछ। लेकिन उन्होंने वो चेक नहीं किया। ये कहा कि शॉर्ट ड्रेस अलाऊ नहीं है। मैंने पूछा कि ऐसा क्यों? जबकि ऐसा तो कुछ एडमिट कार्ड में मेंशन नहीं किया गया था। तब उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे खुद इस बात की जानकारी होनी चाहिए थी। मुझे कैसे पता होता, जब एडमिट कार्ड में ऐसा कुछ मेंशन ही नहीं था।”
इसके बाद जुबली ने वहां मौजूद अधिकारी से पूछा कि क्या शॉर्ट्स पहनना गुना है? जुबली ने कहा कि कई लड़कियां शॉर्ट्स पहनती है तो इसमें दिक्कत क्या है। बाद में जुबली ने उस अधिकारी को अपने पिता से बात करने के लिए कहां परंतु वे नहीं माने और उन्होंने जुबली को पैंट पहन कर आने के लिए कहा। जुबली ने तुरंत यह बात अपने पिता बाबुल तामूली को बताई। बाबुल तामूली तुरंत जुबली के लिए पेंट खरीदने मार्केट की तरफ निकले। मार्केट वहां से करीब 8 किलोमीटर दूर था। परंतु परीक्षा का समय करीब आता जा रहा था। तभी वहां पर मौजूद दो लड़कियों ने जुबली को एक पर्दा ला करके दिया।
जुबली ने तुरंत व पर्दा लपेट लिया और तब जाकर उसे एग्जाम हॉल में बैठने की परमिशन मिली। जुबली ने बताया कि यह घटना उसके जीवन की सबसे शर्मिंदगी भरी घटना थी। जब वह एग्जाम हॉल में पर्दा लपेट कर बैठी तो उन्हें काफी शर्मिंदा होना पड़ा। वह पर्दा बार-बार नीचे खिसक रहा था बावजूद इसके किसी प्रकार से उस पर्दे को संभाल कर वह पेपर लिख रही थी। जुबली ने बाद में बताया कि वह इस विषय में असम के शिक्षा मंत्री से भी शिकायत करेंगी।