हमारे भारतीय समाज में आज भी कई ऐसे लोग हैं जो बेटियों को बेटों से कमजोर समझते हैं। लेकिन आज जिस तरह से बेटियां हर क्षेत्र में अपना और अपने परिवार का नाम रोशन कर रहे हैं उसे देखकर समाज के द्वारा धारण की गई उस सोच को नजरअंदाज कर देना चाहिए।
क्योंकि भगवान ने सिर्फ लड़का और लड़की में शरीर का ही अंतर किया है। समाज की उस सोच को मात देने का काम राजस्थान की तीन बहनों ने किया है। यह तीनों बेटियां एक साथ राजस्थान की सिविल सर्विसेज एग्जाम में पास हुई और अपने साथ अपने परिवार का भी नाम रोशन कर दिया। लेकिन इन बेटियों का यह सफर आसान नहीं था।
राजस्थान के जयपुर के एक छोटे गांव सारंग की रहने वाली यह तीन बेटियां आज के समय में कई लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत साबित हो सकती है। इन तीनों बेटियों का नाम कमला, ममता और गीता है। तीनों वीडियो की मां मीरा देवी ने काफी मेहनत करके अपने बच्चों को पाला। क्योंकि काफी पहले मीरा देवी के पति का निधन हो चुका था। ऐसे में पूरे परिवार को चलाने की जिम्मेदारी मीरा देवी के कंधे पर आ गई थी। लेकिन मीरा देवी ने हार ना मानते हुए पक्का निश्चय कर लिया था कि कुछ भी हो जाए अपने बच्चों का भविष्य संवार कर ही रहेंगी।
मीरा देवी की तीनों बेटियां पढ़ने लिखने में काफी होशियार थी और बचपन से ही स्कूल कॉलेज में अच्छे नंबर से पास हुआ करती थी। मीरा देवी के पति की इच्छा थी कि उनकी बेटियां पढ़ लिखकर बड़ी बक्सर बनी। उसी सपने को पूरा करने के लिए तीनों बहने मेहनत और लगन से जुट गई। तीनों काफी समय से सिविल सर्विस की तैयारी कर रही थी। सिविल सर्विसेज एग्जाम देने के बाद इन तीनों के रिजल्ट ने सभी को हैरान कर दिया। तीनों बहने एक साथ राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस के लिए चुनी गई।
तीनों बहनों का एक साथ सिविल सर्विसेज के लिए चुना जाना काफी आश्चर्यजनक था। कमला चौधरी को 32 वी रैंक मिली थी, दूसरी बहन को 62 वी रैंक और तीसरी बहन को 126 वी रैंक मिली थी। अपनी इस कामयाबी से तीनों बहनों ने समाज के सामने एक उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया और समाज की अवधारणा को तोड़ दिया जो कहती थी कि बेटियां पराया धन होती है और उनकी जल्द से जल्द शादी करा देनी चाहिए। इन तीनों बहनों की कहानी सुनकर हर कोई इन्हें शुभकामनाएं दे रहा है और इनकी इस दास्तान को सुनकर गर्व महसूस कर रहा है।