रिटायरमेंट के रूप में मिले 40 लाख रुपयों को बांटा गरीब बच्चों में, इस शिक्षक ने पेश की मिसाल।

रिटायरमेंट के रूप में मिले 40 लाख रुपयों को बांटा गरीब बच्चों में, इस शिक्षक ने पेश की मिसाल।

शिक्षा मनुष्य के अंदर अच्छे विचारों को भरती है और बुरे विचारों को निकाल बाहर करती है। शिक्षा मनुष्य के जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है। यह मनुष्य को समाज में प्रतिष्ठित करने का कार्य करती है। इससे मनुष्य के अंदर मनुष्यता आती है। इसके माध्यम से मानव समुदाय में अच्छे संस्कार डालने में पर्याप्त मदद मिलती है।

रिटायरमेंट के रूप में मिले 40 लाख रुपयों को बांटा गरीब बच्चों में, इस शिक्षक ने पेश की मिसाल।
रिटायरमेंट के रूप में मिले 40 लाख रुपयों को बांटा गरीब बच्चों में, इस शिक्षक ने पेश की मिसाल।

शिक्षा मनुष्य को पशु से ऊपर उठाने वाली प्रक्रिया है। पशु अज्ञानी होता है उसे सही या ग़लत का बहुत कम ज्ञान होता है। अशिक्षित मनुष्य भी पशुतुल्य होता है। वह सही निर्णय लेने में समर्थ नहीं होता है। लेकिन जब वह शिक्षा प्राप्त कर लेता है तो उसकी ज्ञानचक्षु खुल जाती है। तब वह प्रत्येक कार्य सोच-समझकर करता है। उसके अंदर जितने प्रकार की उलझनें होती हैं, उन्हें वह दूर कर पाने में सक्षम होता है। शिक्षा का मूल अर्थ यही है कि वह व्यक्ति का उचित मार्गदर्शन करे। जिस शिक्षा से व्यक्ति का सही मार्गदर्शन नहीं होता, वह शिक्षा नहीं बल्कि अशिक्षा है।

रिटायरमेंट के रूप में मिले 40 लाख रुपयों को बांटा गरीब बच्चों में, इस शिक्षक ने पेश की मिसाल।
रिटायरमेंट के रूप में मिले 40 लाख रुपयों को बांटा गरीब बच्चों में, इस शिक्षक ने पेश की मिसाल।

एक शिक्षक ही बच्चों का उज्ज्वल भविष्य तय करता है। एक शिक्षक द्वारा दिया गया ज्ञान ही बच्चो का भविष्य प्रकाशमान करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है।

आज हम आपको ऐसे शिक्षण के बारे में बताने जा रहे है जो गरीब समाज के बच्चों के लिए मसीहा बने है। और इनके द्वारा किया गया कार्य पूरे भारत मे सुर्खियां बटोर रहा है। और लोग इनके द्वारा किये गए इस कार्य की तारीफ भी कर रहे है।
ये शिक्षक है मध्यप्रदेश के विजय कुमार चंसोरिया (Vijay Kumar Chansoriya)* कुछ दिनों पहले ही विजय कुमार शिक्षक पद से रिटायर हुए थे।

रिटायरमेंट होने के बाद विजय कुमार को प्रोविडेंट फंड के 40 लाख रुपये मिले थे। अमूमन कोई भी शख्स रिटायरमेंट के पैसे को अपने बच्चों की शादी के लिये बचाकर रखता है। या फिर वो ये पैसा घर लेने या बनाने में खर्च करते है।लेकिन विजय कुमार ने 40 लाख रुपये को जो कि उन्हें रिटायरमेंट फंड के रूप में प्राप्त हुए थे, उन्होंने एक भी पैसा घर मे न रखकर सब पैसा 40 के 40 लाख रुपये गरीब बच्चों की मदद में दान दे दिए।

39 साल शिक्षक के रूप सेवा देने के बाद हुए रिटायरमेंट

रिटायरमेंट के रूप में मिले 40 लाख रुपयों को बांटा गरीब बच्चों में, इस शिक्षक ने पेश की मिसाल।
रिटायरमेंट के रूप में मिले 40 लाख रुपयों को बांटा गरीब बच्चों में, इस शिक्षक ने पेश की मिसाल।

बता दें कि विजय कुमार चंसोरिया (Vijay Kumar Chansoriya) पिछले 39 वर्षों से मध्य प्रदेश के पन्ना (Panna, MP) के खंदिया में स्थित प्राइमरी स्कूल शिक्षक थे। कुछ समय पहले ही विजय कुमार जी सेवानिवृत्त हुए हैं।

इसके लिए विजय कुमार के सहकर्मियों ने इस अवसर पर 31 जनवरी को एक कार्यक्रम आयोजित करवाया था। उस समय तक किसी को ये नही पता था कि विजय कुमार इस पैसे को गरीब बच्चों के लिए दान देने वाले है।
इस कार्यक्रम में ही विजय कुमार ने घोषणा की थी कि वो इस पैसे गरीब बच्चों की मदद और उनकी पढ़ाई में दान दे रहे है।

कभी रिक्सा चलाकर मेहनत करके बने थे शिक्षक

रिटायरमेंट के रूप में मिले 40 लाख रुपयों को बांटा गरीब बच्चों में, इस शिक्षक ने पेश की मिसाल।
रिटायरमेंट के रूप में मिले 40 लाख रुपयों को बांटा गरीब बच्चों में, इस शिक्षक ने पेश की मिसाल।

जानकारी के अनुसार स्थानीय लोगो ने बताया कि विजय कुमार जी का बचपम बेहद कठिनाइयों के बीच बिता। घर मे पढ़ाई के लिए पैसे तो दूर की बात एक समय का खाने का इंतजाम बड़ी मुश्किल में हो पाता था। लेकिन विजय कुमार जी को संघर्ष से प्यार था इसलिए उन्होंने कभी मेहनत करनी नही छोड़ी।

और 12 साल की उम्र में ही रिक्सा चलाकर पढ़ाई चलाने के लिए पैसा जोड़ना शुरू किया और अपनी पढ़ाई जारी रखी। काफी मेहनत और मशक्कत करनी के बाद उनकी ये मेहनत रंग लाई। इसके बाद सन 1983 में वो शिक्षक बने।

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