हम आए दिन सोशल मीडिया पर ऐसी कुछ खबरें सुनते हैं जिन्हें सुनकर सच में काफी प्रेरणा मिलती है। यह ऐसी खबरें होती है जिन्हें सुनकर व्यक्ति गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए कुछ करने की इच्छा मन में लाता है। हमारे देश में आज भी कई ऐसे लोग हैं जो जरूरतमंद और गरीब लोगों की किसी ना किसी प्रकार से मदद करते रहते हैं।
ऐसे ही एक परोपकारी पुलिसकर्मी के बारे में हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं। वैसे तो पुलिसकर्मी की ड्यूटी अपने आप में ही एक सेवा का कार्य है परंतु अपने औपचारिक कर्तव्य से हटकर भी यह पुलिसकर्मी लोगों की सेवा करने का काम करते हैं।
हम बात कर रहे हैं एक ऐसे पुलिसकर्मी की जो हमेशा जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए जाने जाते हैं। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर कस्बे में तैनात पुलिसकर्मी हनुमंत तिवारी लोगों की मदद करने और उनकी सेवा करने के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। हाल ही में हनुमान तिवारी सुर्खियों में इसलिए आ गए क्योंकि उन्होंने एक ऐसा काम किया जिसे सुनकर आप भी सच में पुलिस पर गर्व करने लगोगे।
हनुमंत तिवारी ने अपनी एक मुंह बोली बहन की शादी करवाई और शादी का पूरा खर्च उठाया। इस खबर को सुनने के बाद हर कोई हनुमंत तिवारी जैसे पुलिसकर्मियों की तारीफ कर रहा है।
हनुमंत तिवारी जिस कस्बे में ड्यूटी पर तैनात है उसी इलाके में रहने वाले विचल त्रिवेदी के घर में तीन बेटियां एक बेटा और उनकी पत्नी रहती थी। दुर्भाग्य से कुछ समय पहले भी चल त्रिवेदी की मौत हो गई जिसके बाद उनका पूरा परिवार काफी भारी आर्थिक संकट में आ गया।
घर में खाने-पीने के तक लाले पड़ चुके थे और रोजमर्रा की आवश्यकता की चीजें लाना भी गवारा नहीं था। ऐसे में जब हनुमंत तिवारी को विचल त्रिवेदी के परिवार के बारे में पता चला तो वह काफी भावुक हुए और उन्होंने विचल त्रिवेदी के परिवार की मदद करना के बारे में सोचा।
हनुमंत तिवारी विजय त्रिवेदी की बेटियों को अपने मुंह बोली बहन मानते थे। विचल त्रिवेदी की बेटी अनीता हनुमंत तिवारी को राखी भी बांधती थी जिसकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। ऐसे में जब अनीता की शादी का समय आया तो हनुमंत तिवारी ने अनीता की शादी का पूरा जिम्मा उठाया और शादी का खर्च उठाते हुए धूमधाम से अनीता की शादी करवाई।
हनुमंत तिवारी के द्वारा किए गए इस सराहनीय काम के लिए उन्हें हर कोई बधाइयां देता है। तब से लेकर हमेशा हनुमंत तिवारी एक संवेदनशील और परोपकारी पुलिसकर्मी के रूप में पहचाने जाने लगे।