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पोती को पढ़ाने के लिए दादा ने ऑटो को हो बना डाला अपना घर, घर बेचकर पोती की पढ़ाई में खर्च किया सारा पैसा।

पोती को पढ़ाने के लिए दादा ने ऑटो को हो बना डाला अपना घर, घर बेचकर पोती की पढ़ाई में खर्च किया सारा पैसा।

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में एक देशराज नाम के बुजुर्ग शख्स की कहानी आजकल सोशल मीडिया पर खूब वाय*रल हो रही है। ये कहानी वायर*ल होनी लाजमी भी है क्योंकि जो काम इस बुजुर्ग शख्स ने अपनी पोती को पढ़ाने के लिए शायद ही दुनियां में कोई और कर सकता हो। जी हां हम बात कर रहे है देशराज की जिसने अपनी पोती को पढ़ाने के लिए अपना घर बेच दिया ताकि उनकी पोती पढ़ लिखकर अध्यापिका बन सके। अब देशराज बेघर हो गए है और अपने ऑटो को ही आशियाना बना चुके है। देशराज अपने ऑटो को घर की तरह उपयोग करते है। और जो काम एक घर मे होता है वो सब काम देशराज अपने इस ऑटो में करते है।

पोती को पढ़ाने के लिए दादा ने ऑटो को हो बना डाला अपना घर, घर बेचकर पोती की पढ़ाई में खर्च किया सारा पैसा।
पोती को पढ़ाने के लिए दादा ने ऑटो को हो बना डाला अपना घर, घर बेचकर पोती की पढ़ाई में खर्च किया सारा पैसा।

सोशल मीडिया पर इनकी एक मुस्कुराते हुई एक तस्वीर वायरल हो रही है जो सबका दिल जीत रही है। सोशल मीडिया पर ये तस्वीर वायर*ल होने के बाद यूजर्स ने इनको आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग भी की है।

देशराज मुम्बई में ऑटो चलाते है देशराज के दो बेटे थे जिनकी म्रत्यु हो चूकी है। इसके बाद सारे परिवार की जिम्मेदारी देशराज के कंधों पर आन पड़ी है। देशराज से हुई बातचीत में पता चला है कि 5 साल पूर्व उनका एक बेटा घर से लापता हो गया था। वह घर से काम करने के लिए निकला था। कुछ दिनों बाद उनके 40 वर्षिय बेटे की लाश मिली थी।

पोती को पढ़ाने के लिए दादा ने ऑटो को हो बना डाला अपना घर, घर बेचकर पोती की पढ़ाई में खर्च किया सारा पैसा।
पोती को पढ़ाने के लिए दादा ने ऑटो को हो बना डाला अपना घर, घर बेचकर पोती की पढ़ाई में खर्च किया सारा पैसा।

इसके बाद उनके सर पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा और सारे परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर आगई। जिनको देशराज बखूबी निभा रहे है। देशराज ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे है। और किसी भी तरह से अपने परिवार के लिए समर्पण को तैयार है।

पोती को पढ़ाने के लिए दादा ने ऑटो को हो बना डाला अपना घर, घर बेचकर पोती की पढ़ाई में खर्च किया सारा पैसा।
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कुछ समय बाद उनके ऊपर एक और दुखों का पहाड़ टूट पड़ा देशराज बताते है कि उनके पास रेलवे स्टेशन से फ़ोन आता है कि उनके बेटे का शव प्लेटफॉर्म नम्बर 4 पर पड़ा हुआ है।
देशराज का कहना है कि मैने दोनो बेटो की चिताए जलाई है इससे बुरा समय एक पिता के लिए क्या हो सकता है इतना दुख झेलने के बाद भी देशराज ने हिम्मत नही हारी और लगातार अपने परिवार के लिये समर्पित रहे है।

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