पिता कचरा बीनते हैं, बेटा कर रहा डॉक्टर की पढ़ाई, फर्स्ट टाइम में पास कि एम्स की परीक्षा

कहते हैं जिन लोगों में पढ़ने लिखने का जज्बा होता है वह लोग किसी भी परिस्थिति में अपने आप को साबित करके दिखाते हैं। ऐसे ही एक प्रेरक दास्तान सुनने को मिली है मध्यप्रदेश के देवास जिले से। एक लड़का जिसके पिता कचरा बीनने का काम करते हैं वह लड़का अपने पहले ही अटेंड में इनकी परीक्षा पास कर लेता है और अब एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है।

परिस्थिति इतनी बुरी होकर भी इस लड़के ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी मेहनत और लगन के बल पर आगे बढ़ता चला गया। तो आइए जानते हैं आखिर कौन है वह युवक जिसने अपनी परिस्थिति पर मात देकर खुद को सफल बनाने की दिशा में आगे बढ़ गया।

पिता कचरा बीनते हैं, बेटा कर रहा डॉक्टर की पढ़ाई, फर्स्ट टाइम में पास कि एम्स की परीक्षा
पिता कचरा बीनते हैं, बेटा कर रहा डॉक्टर की पढ़ाई, फर्स्ट टाइम में पास कि एम्स की परीक्षा

हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के देवास जिले के रहने वाले 18 साल के युवक आसाराम चौधरी की। आसाराम चौधरी की पारिवारिक परिस्थितियां बहुत ही ज्यादा खराब है। उनके पिता कचरा बीनने का काम करते थे। बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्होंने मेहनत मजदूरी की यहां तक कि कुली का भी काम किया।

इसी बीच आसाराम के पिता ने देखा कि स्कूल में एडमिशन करवाने से बच्चों को स्कूल से खाना भी मिलता है। इसलिए उन्होंने अपने बच्चों का एडमिशन स्कूल में करवा दिया था कि बच्चों को पेट भरने के लिए खाना तो मिल ही सके।

इसके बाद आसाराम का दाखिला स्थानीय स्कूल में हो गया। आसाराम पढ़ने में काफी होशियार था इसलिए उनके एक अध्यापक ने उन पर बारीक नजर रखी। आसाराम के पढ़ने लिखने की लगन देखकर उस अध्यापक ने उन्हें नवोदय विद्यालय में दाखिला लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

आखिरकार आसाराम का दाखिला नवोदय विद्यालय में हो गया और उन्होंने उसी विद्यालय से अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके सामने अब असमंजस की स्थिति थी कि किस फील्ड में अपना करियर बनाएं।

पिता कचरा बीनते हैं, बेटा कर रहा डॉक्टर की पढ़ाई, फर्स्ट टाइम में पास कि एम्स की परीक्षा
पिता कचरा बीनते हैं, बेटा कर रहा डॉक्टर की पढ़ाई, फर्स्ट टाइम में पास कि एम्स की परीक्षा

इसी दौरान आसाराम अपने पिता की तबीयत खराब होने के बाद उन्हें अस्पताल लेकर गए। अस्पताल में इलाज के बाद डॉक्टर ने उनसे ₹50 मांगे। आसाराम ने सोचा कि ₹50 तो उनके पिता की पूरे दिन की कमाई है। बस फिर क्या आसाराम ने तभी सोच लिया कि वह डॉक्टर की पढ़ाई करेंगे। इसके बाद उन्होंने एडमिशन दक्षिण फाउंडेशन मैं अपना चयन करवाने के लिए कोशिश की। इस फाउंडेशन के तहत गरीब बच्चों को कम पैसों में पढ़ाई करवाई जाती है। इस फाउंडेशन में आसाराम का सिलेक्शन हो गया और उन्होंने एम्स की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।

आसाराम ने अपनी मेहनत और लगन से पढ़ाई की कि उन्होंने AIIMS की परीक्षा अपने पहले ही अटेम्प्ट में पास कर ली। एम्स की परीक्षा पास करने के बाद आसाराम का एडमिशन राजस्थान के जोधपुर में स्थित कॉलेज में हो गया और वर्तमान में भी वहीं पर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। आसाराम की मेहनत और लगन की तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मन की बात में कर चुके हैं। इसके साथ ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी आसाराम की प्रशंसा की और कहा कि आसाराम की पूरी पढ़ाई निशुल्क होगी।

पिता कचरा बीनते हैं, बेटा कर रहा डॉक्टर की पढ़ाई, फर्स्ट टाइम में पास कि एम्स की परीक्षा
पिता कचरा बीनते हैं, बेटा कर रहा डॉक्टर की पढ़ाई, फर्स्ट टाइम में पास कि एम्स की परीक्षा

इतना ही नहीं आसाराम की मेहनत और लगन से प्रभावित होकर रेड क्रॉस सोसाइटी की तरफ से देवास के कलेक्टर श्रीकांत पांडे ने भी आसाराम को प्रोत्साहन राशि के रूप में ₹25000 का चेक भेंट किया। सच में आसाराम जैसे विद्यार्थी आज के समय में उन सभी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकते हैं जो विद्यार्थी अपनी परिस्थिति का हवाला देकर पढ़ाई से मुंह मोड़ लेते हैं।

Leave a Comment

Verified by MonsterInsights