घर चलाने के लिए गोल्ड मेडलिस्ट को करनी पड़ रही है ज़ोमोटो में डिलीवरी बॉय की नौकरी, जानिए दिलचस्प कहानी
कुछ दिनों पहले ही फ़ूड कम्पनी ज़ोमोटो ने 30 मिनट बजाय 10 मिनट में खाना डिलीवर करने की घोषणा की है। खाने के शौकीन लोगो के लिए ये बहुत बड़ी खुशखबरी है। जोमैटो का दावा है कि वह ऐसा करने वाली दुनिया की पहली फूड डिलीवरी कंपनी है।
आज हमको को ज़ोमोटो से जुड़े ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे है जो कि गोल्ड मेडलिस्ट एथिलित रह चुका है। इस शख्स का नाम है मुकेश है। मुकेश ने सोशल मिडीया के जरिए, अपनी एक भावुक स्टोरी शेयर की है।
बिहार के वैशाली जिले के रहने वाले मुकेश कुमार की कहानी बेहद इमोशनल है। स्कूल के दिनों में एथलेटिक्स में 4 गोल्ड मेडल जीतने वाले मुकेश पर उनके अध्यापकों को बहुत गर्व था। मुकेश बताते है कि उनके अध्यापक कहते थे तू एक दिन देश के लिए कुछ बड़ा जरूर करेगा।मुकेश का कहना है कि वह 400 मीटर दौड़ के एथलीट हैं। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने स्टेट लेवल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल भी जीता है।
मुकेश कहते हैं कि उन्होंने विशाखापट्टनम में नेशनल लेवल एथलेटिक्स में भी हिस्सा लिया था हालांकि इस प्रतिस्पर्धा में उन्हें बुखार होने के कारण चौथा स्थान ही प्राप्त हुआ था। इस वजह से वह डिप्रेशन में चले गए। इस घटना के बाद मुकेश अंदर टूट गए थे। और उन्हें लगने लगा कि वह अब कभी नहीं जीत पाएंगे।
मुकेश के अनुसार इस मुश्किल घड़ी में उनके शिक्षकों ने ही उनका साथ दिया और डिप्रेशन से बाहर आने में उनकी मदद की। जो काम दवाई भी नही कर पा रही थी वो काम उनके शिक्षकों में किया। इस बुरी परिस्थिति से निकालने में उनके शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान है। उनके शिक्षकों ने कहा कि भले ही तुम आज हार गए हो लेकिन एक दिन तुम जरूर जीतोगे। अपने अध्यापकों द्वारा बढ़ाए मनोबल से मुकेश ने फिर से ट्रेनिंग शुरू की है।
मुकेश का कहना है कि उन्हें जब जोमैटो में अपनी कमाई के पैसे मिले।तो उन्होंने सबसे पहले अपनी बहन के लिए जूते खरीदे। दरअसल मुकेश की बहन स्टेट लेवल चैंपियन हैं। मुकेश का सपना है कि उनकी बहन आगे भी खेले और नेशनल के साथ साथ इंटरनेशनल लेवल पर भी गोल्ड मेडल जीते। इसके अलावा वह खुद भी आगे खेलते हुए गोल्ड मेडल जीतना चाहते हैं।
परिवार की आर्थिक परिस्थिति नही ठीक
मुकेश के घर की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। मुकेश बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते है। उनके पिता किसान हैं। अपनी कम कमाई में भी वह अपने बेटे की मदद करते हैं । लेकिन उतनी मदद मुकेश के लिए काफी नहीं है। यही वजह है कि मुकेश ने एक दोस्त सुझाव पर डिलीवरी पार्टनर बनकर पैसे कमाने का रास्ता चुना। इसके बाद मुकेश ने जोमैटो ज्वाइन कर लिया