खाई में गिरकर हुई थी सेना के जवान की मौत, 16 साल बाद मिला शव, अब होगा अंतिम संस्कार

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यह बात सुनने में काफी अजीब लग रही होगी कि किसी व्यक्ति की मृत्यु 16 साल पहले हुई हो और उसका शव अब मिल रहा है। परंतु ऐसा प्रत्यक्ष रूप से हुआ है। सेना के एक जवान की 16 साल पहले बर्फीली खाई में गिरकर मौत हो गई थी। उस समय उस जवान को काफी ढूंढा गया परंतु वह कहीं नहीं मिला।

खाई में गिरकर हुई थी सेना के जवान की मौत, 16 साल बाद मिला शव, अब होगा अंतिम संस्कार
खाई में गिरकर हुई थी सेना के जवान की मौत, 16 साल बाद मिला शव, अब होगा अंतिम संस्कार

लेकिन अब जाकर सौभाग्य से उसका शव बरामद किया गया है और उस पर अब अंतिम संस्कार होने जा रहा है। उस जवान का शव उसके परिवार वालों को सुपुर्द कर दिया गया है इसके बाद इस खबर को सुनकर उस जवान के घर के आसपास के इलाके में काफी खलबली मची हुई है।

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बताया जा रहा है कि मुरादनगर के हंसाली गांव के रहने वाले जवान अमरीश एक बहुत अच्छे पर्वतारोही थे। उन्होंने अपनी टीम के साथ हिमालय से लेकर सियाचिन की ऊंची से ऊंची चोटियों पर जाकर तिरंगा लहराने का काम किया था। उसी अभियान पर पुणे एक बार जाने के लिए वह साल 2005 के सितंबर महीने में निकले थे।

खाई में गिरकर हुई थी सेना के जवान की मौत, 16 साल बाद मिला शव, अब होगा अंतिम संस्कार
खाई में गिरकर हुई थी सेना के जवान की मौत, 16 साल बाद मिला शव, अब होगा अंतिम संस्कार

अमरीश अपनी टीम के साथ सियाचिन की चोटियों पर तिरंगा लहराने के लिए निकले थे और वह अपने इस अभियान में सफल भी हुए थे। परंतु वापस लौटते समय उन सभी जवानों के साथ एक बड़ा हादसा हो गया।

 

एक बर्फ के तूफान के नीचे सभी जवान दब गए थे और लापता हो गए थे। उस समय उन सभी जवानों को ढूंढा गया जिसमें से केवल 3 जवानों के शव बरामद हुए। जवान अमरीश का शव एक बहुत ही गहरी और बर्फीली खाई में जा गिरा था इसलिए उसे ढूंढ पाना काफी मुश्किल था।

परंतु अब सहयोग से जवान अमरीश का शव बरामद हो गया है। अमरीश का शव बरामद होने के बाद उसके परिवार वालों को इस घटना की जानकारी दे दी गई है। परिवार के सदस्यों में काफी हैरानी का माहौल बन गया और उन्हें इस बात की खुशी भी हुई कि अंततः उनके बेटे का शव मिल गया।

मंगलवार के दिन अमरीश का शव का अंतिम संस्कार गुरुग्राम में किया जाएगा। इस घटना की जानकारी मिलने के बाद अमरीश के चाहने वाले और उसके दोस्त रिश्तेदार सभी लोग काफी खुश हुए और एक प्रकार से भावुकता भरा वातावरण हो गया। बता दे कि अमरीश के पिता भी सेना में ही नौकरी करते थे।

अमरीश के पिता ने साल 1962 और 1965 के युद्ध में भी भारत की ओर से लड़ाई लड़ी थी। कुछ ही साल पहले अमरीश के पिता और पत्नी दोनों का निधन हो चुका है। अमरीश का पार्थिव शरीर उसके गांव लाया जा रहा है और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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