अक्सर हम खबरों में देखते हैं कि कुछ बच्चे अपने माता-पिता को प्रताड़ित करते हैं तो कुछ बच्चे अपने माता-पिता का सरोकार करते हैं और उनका काफी सम्मान करते हैं।
कई बार हमने खबरों में देखा है कि कुछ बच्चे अपने माता-पिता के साथ मारपीट करते हैं और उनकी अवहेलना करते हैं तो कई बार हमने ऐसा भी देखा है कि कुछ बच्चे अपने माता-पिता के जन्मदिन पर उन्हें नए-नए सरप्राइस दे रहे हैं। हमेशा से ही बच्चों और माता-पिता के रिश्तो के विषय में सकारात्मक और नकारात्मक खबरें आती ही रहती है। परंतु इस बार एक सकारात्मक खबर पिता-पुत्र के रिश्ते को लेकर सामने आई है।
अरुण कोरे नाम के एक व्यक्ति ने अपने पिता की मृत्यु के बाद उनकी याद में सिलिकॉन का स्टेचू बनवा दिया। अरुण अपने पिता से बहुत प्रेम करते थे। अरुण के पिता का नाम रावसाहेब कोरे था। रावसाहेब कोरे पुलिस डिपार्टमेंट में इंस्पेक्टर थे।
बीते वर्ष जब कोरो’ना वाय’रस के कारण पूरे देश में लॉक’डाउन लगाया गया था तब पुलिस के कर्मचारी भी ऐसे सरकारी कर्मचारी थे जो लोगों की सेवा करने के लिए और उन्हें कोरो’ना वाय’रस से बचाने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना दिन-रात जी जान से जुटे हुए थे। इसी प्रकार रावसाहेब पूरे भी अपना कर्तव्य निभाते हुए ड्यूटी कर रहे थे और वे कोरोना से संक्र’मित हो गए।
कोरो’ना के संक्रम’ण के कारण रावसाहेब की तबीयत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें आखिरकार उन्हें अपने प्राण त्यागने पड़े। रावसाहेब का परिवार उनसे बहुत प्यार करता था। इसलिए रावसाहेब के जाने का गम उनका परिवार झेल नहीं पा रहा था और हमेशा दुखी ही रह रहा था।
रावसाहेब के बेटे अरुण कोरे ने इस बात को भाप लिया और उसने अपने पिता की याद में कुछ अनोखा करने का निश्चय किया। अरुण को’रेने बेंगलुरु के श्रीधर नाम के एक मूर्तिकार से इस विषय में बात की। अरुण ने बेंगलुरु के मूर्तिकार श्रीधर से अपने पिता की सिलिकॉन की मूर्ति बनवाली और अपने घर मैं सोफा के ऊपर बैठी हुई मुद्रा में अपने पिता रावसाहेब कोरे की मूर्ति बनवाई।
सिलिकॉन की बनी हुई यह मूर्ति प्रत्यक्ष रूप से जीवित इंसान की तरह ही दिखाई देती है। इस मूर्ति को कपड़े पहनाए जा सकते हैं। यह मूर्ति किसी भी मौसम में खराब नहीं होती। इस मूर्ति को पानी से नहलाया भी जा सकता है।
पिता के लिए अपने पुत्र का अदम्य प्रेम देखकर हर कोई उस बेटे की प्रशंसा कर रहा है। जिस कार्य क्षेत्र में रावसाहेब कोरे काम करते थे उस कार्य क्षेत्र में लोग उनकी काफी इज्जत करते थे इसलिए रावसाहेब कोरे की सिलिकॉन की बनी हुई मूर्ति को देखने के लिए लोग उनके चाहने वाले उनके घर पर आकर मूर्ति को देख रहे हैं।