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कैंसर से पीड़ित है महिला, फिर भी रोजाना 200 बच्चों को मुफ्त में खिलाती है भोजन

हमारे देश में कई ऐसे भी लोग हैं जिन्हें समाज सेवा करना बहुत अच्छा लगता है। कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जो अपनी निजी समस्याओं को बुलाकर दूसरों की सेवा करने में जुटे रहते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण दिल्ली से सामने आया है जहां पर आंचल शर्मा नाम की एक महिला पिछले कई सालों से दिल्ली के रंगपुरी नाम की मलिन बस्ती के गरीब बच्चों को मुफ्त में भोजन करवाने का काम कर रहे हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि आंचल शर्मा को तीसरे स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर है और उनका कीमोथेरेपी के माध्यम से इलाज चल रहा है। इतनी गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के बावजूद भी आंचल शर्मा ने बिल्कुल भी हार नहीं मानी और वे जरूरतमंद बच्चों की सेवा में जुट गई।

कैंसर से पीड़ित है महिला, फिर भी रोजाना 200 बच्चों को मुफ्त में खिलाती है भोजन
कैंसर से पीड़ित है महिला, फिर भी रोजाना 200 बच्चों को मुफ्त में खिलाती है भोजन

ऑटो रिक्शा चलाते थे पिता

अगर आप आंचल शर्मा की जीवनी के बारे में सुनेंगे तो आपके शरीर पर रोंगटे खड़े हो जाएंगे। इतनी कठिन जिंदगी और कदम कदम पर चुनौतियां। लेकिन उन सारी कठिनाइयों को पार करते हुए आंचल शर्मा ने अपने आप को खुश रहने के लिए ट्रेन कर लिया। बता दें कि आंचल शर्मा एक बहुत ही सामान्य परिवार से आते हैं। उनके पिता ऑटो रिक्शा चालक थे और आंचल की एक बहन और एक भाई था।

किसी ने आंचल शर्मा के पिता को यह सलाह दी कि वे अपना पैसा निवेश कर दे। जिसके बाद आंचल के पिता ने पैसे निवेश कर दिए और वह सारे पैसे डूब गए। उनकी पूरी जिंदगी की कमाई एक झटके में डूब गई जिससे उन्हें काफी बड़ा सदमा लगा क्योंकि अब घर चलाना काफी मुश्किल हो रहा था।

काफी कठिनाई से गुजरी जिंदगी

इसके बाद आंचल की मां ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए पैसे कमाने के बारे में सोचा और एक प्राइवेट फॉर्म में काम करने लगी। लेकिन दुर्भाग्य से कुछ ही समय बाद उस कंपनी में से कई मजदूरों को काम से निकाल दिया जिसमें आंचल की मां भी शामिल थी। इसके बाद परिवार के ऊपर और भी बड़ा आर्थिक संकट टूट पड़ा और रोजमर्रा की खाने पीने की चीजें लाना भी मुश्किल हो गया।

मां की नौकरी छूट जाने पर आंचल के भाई को और आंचल को अपनी पढ़ाई भी छोड़ देनी पड़ी। बता दें कि उस समय आंचल केवल आठवीं कक्षा में पढ़ती थी और उनका भाई नववी कक्षा में पढ़ता था। पढ़ाई छोड़ने के बाद आंचल के भाई ने मैकेनिक का काम करना शुरू कर दिया और आंचल को एक ट्रेडिंग फर्म में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी मिल गई।

कैंसर से पीड़ित है महिला, फिर भी रोजाना 200 बच्चों को मुफ्त में खिलाती है भोजन
कैंसर से पीड़ित है महिला, फिर भी रोजाना 200 बच्चों को मुफ्त में खिलाती है भोजन

ढाई लाख रुपए की धोखाधड़ी को झेला

दोनों भाई बहन का पैसे कमाने लगे जिसके कारण परिवार की स्थिति थोड़ी ठीक हुई। कुछ समय बाद आंचल को अपने एक दोस्त के रियल स्टेट फर्म में नौकरी मिल गई लेकिन वहां भी उनके साथ ढाई लाख रुपए की धोखाधड़ी हो गई। आंचल को उनके कमीशन के पैसे नहीं दिए गए जिसके बाद उन्हें काफी दुख हुआ। फिर आंचल ने वह नौकरी छोड़ कर वापस से रिसेप्शनिस्ट की नौकरी ज्वाइन कर ली। जहां पर उन्हें अपने पुराने अनुभव के बल पर ब्रोकर की नौकरी मिल गई। आंचल में काफी मेहनत और लगन से अपना काम किया और आगे चलकर अपने परिवार के लिए खुद का फ्लैट खरीदने में सक्षम हो गई।

बहन की हो गई थी हत्या

इसी बीच आंचल में अपनी छोटी बहन की शादी के लिए भी घरवालों से बगावत की। आंचल की छोटी बहन किसी से प्यार करती थी और उससे शादी करना चाहती थी। आंचल ने अपनी बहन के फैसले पर उसका समर्थन किया और उसकी शादी करा दी। लेकिन 5 साल बाद ही आंचल की बहन की हत्या उसके ही पति ने कर दी। जिसके बाद आंचल को और एक बड़ा सदमा लगा। इसके बाद आंचल की भी शादी करा दी गई लेकिन उन्हें खुद की शादी से भी सुख नहीं मिला। उनके साथ काफी घरेलू हिंसा होती थी जिसके बाद उन्होंने 3 महीने बाद ही अपने पति को तलाक दे दिया और अलग रहने लगी।

कैंसर से पीड़ित है महिला, फिर भी रोजाना 200 बच्चों को मुफ्त में खिलाती है भोजन
कैंसर से पीड़ित है महिला, फिर भी रोजाना 200 बच्चों को मुफ्त में खिलाती है भोजन

3rd स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर से ग्रसित है आंचल

इतने सारे दुख झेलने के बावजूद भी अब एक बड़ा दुख आंचल की राह देख रहा था। उनके ब्रेस्ट में एक छोटी गांठ थी जिसे उन्होंने काफी समय तक नजरअंदाज किया लेकिन साल 2017 में जब उनकी तकलीफ ज्यादा बढ़ गई तो उन्होंने डॉक्टर के पास जांच कराई जिसमें उन्हें पता चला कि उन्हें थर्ड स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर है। आंचल के लिए यह सदमा बर्दाश्त करने लायक नहीं था लेकिन उन्होंने अब ठान लिया था कि चाहे जितने भी परेशानियां आ जाए अब एक नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे।

इस प्रकार मिली इस काम को करने की प्रेरणा

बता दे कि आंचल एक बार अपनी गाड़ी से कहीं जा रही थी तभी सिग्नल पर कुछ गरीब बच्चे उनके पास भीख मांगने के लिए आए लेकिन आंचल ने उन्हें पैसे नहीं दिए बल्कि उन्हें एक होटल में ले जाकर भोजन करवाया। होटल में उन गरीब बच्चों के फटे कपड़े देखकर होटल वाले ने उन्हें खाना खिलाने से मना कर दिया जिसके बाद आंचल उन बच्चों को लेकर एक दूसरे छोटे स्टॉल पर गई और वहां उन्हें पेट भर कर खाना खिलाया। वहीं से आंचल के दिमाग में विचार आया कि क्यों ना इन बच्चों को रोजाना अपनी बचत में से भोजन करवाया जाए। इस विचार को लेकर आंचल आगे बढ़ गई।

रोजाना घर से भोजन लेकर निकलती है

शुरुआत में आंचल ने थोड़े कम बच्चों से शुरुआत की लेकिन जैसे-जैसे उन्हें इस काम में मजा आने लगा वह ज्यादा से ज्यादा गरीब बच्चों तक पहुंचती चली गई। आज के समय में रोजाना वे लगभग 200 बच्चों को मुफ्त में भोजन करवा रही है। वे रोजाना अपने घर से भोजन बनाकर अपने साथ लेकर निकल पड़ती है और दिल्ली की मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों को भोजन करवाती है। उन्होंने अपने इस काम को आगे बढ़ता हुआ देख ‘मील आफ हैप्पीनेस’ नाम से अपना एक एनजीओ भी रजिस्टर करवा लिया।

उनके इस एनजीओ से और भी कई सारे लोग जुड़ते चले गए। किसी दिन अगर किसी व्यक्ति का जन्मदिन हो तो वह सेवा करने के लिए आंचल के एनजीओ में डोनेशन देता है जिसके कारण उस दिन 5000 से भी ज्यादा बच्चों को भोजन मिल जाता है। आंचल अपने इस प्रोजेक्ट को और आगे बढ़ाना चाहती है। आंचल का इलाज करने वाले डॉक्टरों को भी यकीन नहीं होता कि इतने गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के बावजूद भी आंचल इतनी खुश रहती है। डॉक्टर भी आंचल को उनके इस सराहनीय काम में मदद करते हैं। आंचल चाहती है कि आगे चलकर वे इतने सक्षम हो जाए कि रोजाना 500 बच्चों को भोजन करवा सके।

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