केवल 25 साल की उम्र में दो दोस्तों ने पुराने जूते चप्पल बेचकर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

कहते हैं व्यक्ति को यदि सफल होना है तो उसे अपने इरादे मजबूत और हौसला बुलंद रखना चाहिए। मजबूत इरादे और बुलंद हौसले के बल पर ही व्यक्ति बड़ी से बड़ी सफलता को प्राप्त कर सकता है।

केवल 25 साल की उम्र में दो दोस्तों ने पुराने जूते चप्पल बेचकर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी
केवल 25 साल की उम्र में दो दोस्तों ने पुराने जूते चप्पल बेचकर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

आमतौर पर हम देखते हैं कि 25 वर्ष की उम्र में लोग नौकरियों की तलाश में दरबदर भटकते रहते हैं परंतु हम जिन दो शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं उन्होंने 25 वर्ष की उम्र में ही पुराने जूते चप्पल भेज कर करोड़ों रुपए की धारणा और वाली कंपनी खड़ी कर दी और सबको आश्चर्यचकित कर दिया। जी हां दोस्तों ऐसा करने के लिए इन दोनों को काफी संघर्ष और मेहनत करना पड़ा परंतु अंत में उन्होंने अपनी सफलता को प्राप्त कर ही लिया।

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में जन्मे रमेश धामी बचपन से ही एक्टिंग की दुनिया में अपना करियर बनाना चाहते थे। परंतु उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही सामान्य थी। एक्टिंग के अपने सपने को पूरा करने के लिए रमेश धामी केवल 10 वर्ष की उम्र में ही साल 2004 में घर से भाग गए।

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केवल 25 साल की उम्र में दो दोस्तों ने पुराने जूते चप्पल बेचकर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

रमेश धामी करीब 2 वर्षों तक अलग-अलग शहरों में भटके और फिर 12 वर्ष की उम्र में वे मुंबई पहुंच गए। मुंबई में पहुंचने के बाद रहने के लिए उनके पास कोई और ठिकाना नहीं था इसलिए वे रेलवे स्टेशन पर ही रात गुजारते थे। बाद में पेट पालने का सवाल उठा तो रमेश ने एक होटल में नौकरी ढूंढ ली।

रमेश की किस्मत उस समय इतनी खराब थी कि समुद्र में बाढ़ आने की वजह से वह होटल 10 दिनों के अंदर ही बंद हो गया और उन्हें फिर से बेरोजगार होना पड़ा। ऐसे में उन्हें साथी नाम के एक एनजीओ का सहारा मिला।

केवल 25 साल की उम्र में दो दोस्तों ने पुराने जूते चप्पल बेचकर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

रास्तों पर भटकते हुए रमेश को ड्रग्स लेने का भी शौक लग गया था परंतु जैसे ही उन्हें एक एनजीओ का सहारा मिला उनका जीवन थोड़ा सुधारने लगा। इसी दौरान उनकी मुलाकात राजस्थान के रहने वाले श्रीयंश भंडारी से हुई। दोनों भी अपने भविष्य को लेकर चिंतित थे और अपना भविष्य उज्जवल बनाने के लिए योजनाएं बनाने में जुटे हुए थे।

इसी बीच श्रीयांश के मन में एक आईडिया आया की क्यों ना पुराने जूते चप्पल को मरम्मत करके बेचा जाए। दोनों को यह आईडिया बहुत पसंद आया और उन्होंने साल 2015 में मुंबई के ही एक छोटे से घर से पुरानी जूते चप्पलों को मरम्मत करके बेचने का काम शुरू कर दिया।

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केवल 25 साल की उम्र में दो दोस्तों ने पुराने जूते चप्पल बेचकर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

उन्होंने ग्रीनसोल नाम की एक स्टार्टअप कंपनी की शुरुआत की। केवल 6 वर्षों में ही इस कंपनी का ट्रक और तीन करोड़ को पार कर गया। यह कंपनी ना केवल पुराने जूते चप्पल मरम्मत करके बेचने का काम करती थी बल्कि गरीब लोगों को मुफ्त में जूते चप्पल भी बात की थी। इस कंपनी ने अब तक 14 राज्यों में 3.9 लाख लोगों को मुफ्त में जूते चप्पल बैठे हैं।

इस काम के लिए इस कंपनी में अब तक 65 अन्य कंपनियों का सहयोग लिया है। रमेश धामी और श्रेयांश भंडारी के द्वारा प्राप्त की गई इस अनोखी सफलता के लिए उन दोनों की रतन टाटा से लेकर बराक ओबामा तक प्रशंसा कर चुके हैं।

सचमुच में रमेश धामी और श्रीयांश भंडारी ने इस बात को साबित करके दिखाया कि बिजनेस चाहे किसी भी चीज का हो पर यदि आपको सफल होना है तो आप का हौसला बुलंद होना चाहिए और आपके इरादे नेक होने चाहिए।

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