ऑटो चालक पति ने पत्नी को अपनी मेहनत के दम पर पढा लिखाकर बनाया डॉक्टर, मात्र 8 साल की उम्र में हुई थी दोनो की शादी.
सफलता शब्द जितना कहने सुनने में अच्छा और आसान लगता है, उतना ही ये इसे हासिल कर पाना मुश्किल है। सफलता चाहे किसी भी क्षेत्र में हासिल करना हो, उसके लिए कठिन परिश्रम करना बहुत ज़रूरी है। एक ऐसी ही कहानी के बारे में हम आपको बताने जा रहे है ये कहानी एक ऑटोचालक पति ने उनकी पत्नी की है। पति शंकर लाल यादव ने अपनी पत्नी को ऑटो चलाकर पढ़ाया, और आजकल के युवाओं के लिए प्रेरणा भी बने हुए है।
आईये जानते है रूपा यादव के बारे में।
राजस्थान के चुरू से सम्बंध रखने वाली रूपा यादव की शादी मात्र 8 साली की उम्र में हो गई थी। शादी के समय रुपा यादव तीसरी कक्षा में पढ़ रही थी। रूपा यादव बचपन से ही मेधावी छात्र थी, उनके घर से कोशो दूर विद्यालय होने के बावजूद भी उन्होंने कभी स्कूल जाना नही छोड़ा।घर से पैदल बस स्टेशन तक जाकर डैली बस से स्कूल तक का सफर तय करती थी
बचपन से ही डॉक्टर बनने का सँजोया था सपना
रूपा यादव का सपना था कि वो एक दिन डॉक्टर बने, असल मे उनके जीवन मे एक घटना घटित हुई थी। दरअसल,इस घटना में रूपा यादव ने अपने चाचा को खो दिया था उनके चाचा भीमराव यादव की मौत हर्ट अटैक से हुई थी। रूपा यादव का मानना है कि, अगर उनके चाचा को उसी समय प्राथमिक उपचार मिल गया होता तो वो बच सकते थे। इस घटना से प्रभावित होकर रूपा यादव अपने डॉक्टर बनने के सपने को लेकर और ज्यादा मेहनती हो गई थी। आर्थिक तंगी होने के बावजूद रूपा ने अपनी पढ़ाई पुरी की।
साल 2016 में दी थी NEET की परीक्षा
2016 में रूपा यादव ने NEET की परीक्षा दी थी और इस परीक्षा में उनको पहले ही प्रयास में सफलता हाथ लगी। लेकिन उनकी रैंक कम थी जिस कारण उन्हें महाराष्ट्र स्टेट मिला। जो कि इनके ससुराल से काफी ज्यादा दूर था। ससुराल वालों ने इतनी दूर पढ़ाने के लिए मना कर दिया। ये सब होने बाद भी रूपा मायूस नही हुई। और रूपा ने अगले ही साल 2017 में एक बार फिर से NEET की परीक्षा दी। और इस बार उनकी रैंक 2283 रही जो कि काफी अच्छी रैंक मानी जाती है।
पति के सपोर्ट ने किया सपना साकार।
रूपा को डॉक्टर बनने में अहम भूमिका निभाने वाले उनके पति परिवार शंकर लाल यादव ही थे। जिन्होंने उनके अच्छे व बुरे समय मे उनका हाथ पकड़े रखा और पूरा समर्थन दिया। रूपा के पति शंकर लाल यादव ऑटो चला कर रुपा की पढ़ाई का खर्च उठाते थे। डॉक्टर बनने के इस सपने को रूपा ने अपनी बहन और जीजा जी के साथ साझा किया था। इन दोनों का भी रूपा की सफलता में काफी योगदान रहा। रूपा को पढ़ते देखकर शंकर लाल यादव ने भी अपनी पढ़ाई दोबारा से शुरू की और आज वो M.A पास है।