हमने अक्सर देखा है जो लोग IAS के पद पर नियुक्त किए जाते हैं वह हमेशा ही अपना एक उच्च स्टैंडर्ड मेंटेन करते हुए चलते हैं। आईएएस बनने वाले अधिकारी अपने आप में एक प्रतिष्ठित नागरिक होते हैं और सभी तरफ उन्हें काफी सम्मान से देखा जाता है।
ऐसा इसलिए होता है कि आईएएस यह जिले का एक प्रमुख कार्य भारी होता है जिसके अंतर्गत ही पूरे जिले में प्रशासनिक व्यवस्थाएं सुचारू ढंग से संचालित की जाती है। इसलिए सामान्य तौर पर आईएएस शब्द सुनने पर हमें ऑफिस में बैठा हुआ एक बड़ा अधिकारी ही नजर आता है परंतु हम आपको एक ऐसे आईएएस अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं जो सामान्य लोगों की तरह ही रास्ते पर चलते बुजुर्ग के साथ हंसी ठिठोली करता दिखाई दिया।
जी हां दोस्तों यह बात सुनकर आपको जरूर आश्चर्य हो रहा होगा परंतु महाराष्ट्र के आईएएस अधिकारी रमेश घोलप ऐसे ही सादगी पूर्ण तरीके से अपना काम करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि रमेश घोलाप बहुत ही सामान्य परिवार से आते हैं और वह मिट्टी से जुड़े हुए व्यक्ति हैं। यह बात उन्होंने अपने द्वारा किए गए एक ट्वीट में भी लिखी है। दरअसल रमेश घोलप एक काम के सिलसिले में किसी गांव से होकर गुजर रहे थे।
इसी दौरान गांव की सड़क पर उन्हें एक बुजुर्ग बैठे दिखाई दिए जिसके बाद रमेश घोलप ने अपना काफिला रोका और वे कार से बाहर उतरे। बाद में रमेश घोलप रास्ते पर बैठे उस बुजुर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बैठ गए और हंसी ठिठोली करने लगे।
रमेश घोलप ने काफी देर तक उस बुजुर्ग के साथ हंसी मजाक किया और गांव का और उस बुजुर्ग का हालचाल जाना। इसी दौरान किसी ने यह तस्वीरें ले ली और स्वयम आईएएस रमेश घोलप ने उन तस्वीरों को अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया। तस्वीर के साथ रमेश घोलप अपने बहुत सुंदर बात लिखी – ‘तज़ुर्बा है मेरा मिट्टी की पकड़ मजबूत होती है, संगमरमर पर तो हमने पांव फिसलते देखे हैं।’
तस्वीर में हम देख पा रहे होंगे कि रमेश घोलाप स्वयं रास्ते पर सामान्य व्यक्ति की तरह एक बुजुर्ग के साथ बैठे हैं और हंसते हुए दिखाई दे रहे हैं। दोनों के पीछे उनकी इनोवा कार खड़ी है जिसमें रमेश घोलप के सुरक्षा अधिकारी बैठे हुए हैं। यह तस्वीर जब रमेश घोलप अपने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर की तो लोग उन्हें देखकर काफी हैरान हुए और उनकी सादगी की प्रशंसा करने लगे।
लोगों ने रमेश घोलप के द्वारा दिखाए गए इस सादगी पूर्ण अंदाज़ के लिए उनकी काफी सराहना की और तस्वीर पर विविध प्रकार की प्रतिक्रिया देने लगे। बता दें कि रमेश घोलप महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के वारसी तालुका से आते हैं।
रमेश घोलप के पिता किसी समय साइकिल रिपेयरिंग का काम किया करते थे। रमेश घोलप की आर्थिक परिस्थिति उतनी अच्छी नहीं थी बावजूद इसके उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई की और साल 2010 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी परंतु पहली बार में भी सफल नहीं हो पाए।
बाद में साल 2011 में रमेश घोलप ने पुनः एक बार यूपीएससी की परीक्षा दी और इस बार उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 287 प्राप्त कर अपना और अपने गांव का नाम रोशन कर दिया। आज के समय में हर बड़े पद पर तैनात अधिकारी को इसी प्रकार का सादगी पूर्ण व्यवहार सामान्य जनता के लिए करना चाहिए।