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एक गांव ऐसा भी : इस गांव में होती हैं सिर्फ इशारों में बाते।

एक गांव ऐसा भी : इस गांव में होती हैं सिर्फ इशारों में बाते।

दुनियां में एक गांव ऐसा भी है जहां सिर्फ लोग बोलने की बजाय इशारों में बात करना पसंद करते है। ये पढ़कर आप भी सोच में पड़ गए होंगे न? आप सोच रहे होंगे ऐसे कैसे सम्भव हो सकता बिना बोलचाल के तो एक दूसरे की बातों को समझना अशम्भव सा प्रतीत होता है। लेकिन, ये सच है।

इंडोनेशिया का बेंगकला गांव जहां लोग बोलने की अपेक्षा इशारों में करते है बात

एक गांव ऐसा भी : इस गांव में होती हैं सिर्फ इशारों में बाते।
एक गांव ऐसा भी : इस गांव में होती हैं सिर्फ इशारों में बाते।

हम बात कर रहे है इंडोनेशिया के बेंगकला गांव की दरअसल, इंडोनेशिया में एक गांव हैं बेंगकला. इस गांव के लोग पिछली सात पीढ़ियों से बोलने की अपेक्षा हाथों द्वारा इशारों से ही बातें करते हैं. इस गांव के लोगों को डीफ विलेज के नाम से भी जाना जाता है. आम जनता के अलावा यहां के कई कार्यालयों में भी इसी तरह इशारों से वार्तालाप होती है. कई सालों से इस गांव के लोगो ने कुछ नहीं बोला है. आपको बता दें, इस सांकेतिक भाषा को काटा कोलोक कहा जाता है. यह सदियों पुरानी सांकेतिक भाषा है.

एक गांव ऐसा भी : इस गांव में होती हैं सिर्फ इशारों में बाते।
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इस गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां इस गांव में बाहरी लोग आना बहुत कम पसंद करते है। इस गांव का नाम बेंगकला है. इस गांव के ज्यादातर लोग बोलने और सुनने में सक्षम नही हैं और ये समस्या यहां सामान्य से पंद्रह गुना ज्यादा है. इस गांव के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहाँ के बच्चे जन्म से ही यहां सुनने और बोलने की बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं.यहां की भौगोलिक स्थिति को इसका कारण बताया गया है।

श्राप से ग्रसित भी कहा जाता है इस गांव को

एक गांव ऐसा भी : इस गांव में होती हैं सिर्फ इशारों में बाते।
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इस बीमारी के पीछे एक कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि दो लोग जिनके पास दैवीय शक्तियां थीं, लड़ते हुए उन्होंने एक दूसरे को कभी ना सुन पाने का श्राप दे डाला। हालांकि अब इस कथा पर काफी कम लोग विश्वास करते हैं।

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