देश और दुनिया आज प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है वह लोग दुनिया आधुनिक होती जा रही है उन्हें भारत में आधुनिकता की ओर अग्रसर हो रहा है और भारत हर क्षेत्र में भारत अपनी छाप छोड़ रहा है। अंतरिक्ष से लेकर जल और थल सभी दिशाओं में भारत नए-नए कीर्तिमान रच रहा है। परंतु देश के आज भी कई ऐसे इलाके हैं जहां पर रूढ़ी’वादी परंपराओं का नि’र्वहन किया जा रहा है।
लोग आधुनिकता से तो जुड़ रहे हैं परंतु अपनी रूढ़ीवादी परंपराओं में कुछ इस प्रकार से जकड़े हुए हैं कि वह आधुनिकता को भी विस्मृत कर देते हैं और कई बार ऐसी रूढ़ी’वादी परंपराओं से समाज को भी हानि पहुंच सकती है।
हम जिस गांव के बारे में बताने जा रहे हैं वह हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण घाट में स्थित पीणि गांव है। इस गांव में सदियों से एक बहुत ही अजीबोगरीब परंपरा चली आ रही है। बताया जा रहा है कि इस गांव की महिलाएं साल में 5 दिन निर्व’स्त्र होकर रहती है।
इस परंपरा के बारे में सुनकर आपको आश्चर्य हो रहा होगा परंतु यह सही खबर है। आज के समय में भी भारत के दूरदराज के इलाकों में कई समाज ऐसी रूढ़ि’वादी परंपराओं को अपना कर और उसमें ही जकड़े हुए हैं ऐसा सोचकर काफी दुख होता है। दरअसल गांव वालों ने इस परंपरा के पीछे एक अजब सी घटना बताई है।
बताया जा रहा है कि सदियों पहले इस गांव में एक राक्षस आता था और वह अच्छे कपड़े पहनने वाली महिलाओं को उठाकर ले जाता था। बाद में उस राक्षस का उनके देवताओं ने वध कर दिया और गांव वालों को उस राक्षस के प्रकोप से मुक्त करा दिया। इस गांव के लोग लाहुआ देव कि काफी उपासना करते हैं और उन्हीं के उपासना पर्व के चलते यह अजीब सी परंपरा अपनाई जाती है।
बताया जा रहा है कि साल में श्रावण महीना जब आता है उस महीने में 5 दिन इस गांव की सभी महिलाएं निर्वस्त्र होकर रहती है। हालांकि अब कालांतर से इस परंपरा में धीरे-धीरे बदलाव किया गया है और महिलाएं निर्व’स्त्र होने की बजाए पतले कपड़े पहनती है।
जब यह परंपरा शुरू हुई थी उस समय महिलाओं को पूर्ण रूप से निर्वस्त्र होकर 5 दिन तक रहना पड़ता था। परंतु धीरे-धीरे समाज की प्रगति होने के कारण अब उस परंपरा में बदलाव किया गया है और महिलाओं को नि’र्वस्त्र होने की वजह पतले कपड़े पहनाए जाते हैं।
इतना ही नहीं इन 5 दिन में उस गांव के लोग शराब और मांस भी त्याग देते हैं। साथ ही साथ गांव के लोग इन 5 दिनों के दौरान एक दूसरे से बातचीत करते समय हंसते भी नहीं है। लोगों के द्वारा इस परंपरा का पालन किया जाना दर्शाता है कि आज भी लोगों के मन में अपने परंपराओं पर दृढ़ विश्वास है और वह किसी भी की’मत पर इन परंपराओं को त्यागने के लिए तैयार नहीं है।