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इंजीनियर की नौकरी छोड़ बेचता है गोमूत्र और गोबर, महीने में 10 लाख रु’पए कमाता है यह 26 वर्ष का युवक

आज के समय में हर युवा की यह इच्छा होती है कि वह जल्द से जल्द पढ़ाई खत्म करके अच्छी खासी नौकरी ज्वाइन कर ले और अपना करियर बना कर अच्छी तरह से सेटल हो जाए। सामान्य रूप से हर युवक अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए नौकरी की ही चाहत रखता है परंतु हम आपको एक ऐसे युवक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें सिविल इंजीनियर की अच्छी खासी नौकरी छोड़कर गाय के गोबर और गोमूत्र को बेचने का बिजनेस शुरू किया और न केवल बिजनेस शुरू किया बल्कि उसमें सफल भी हो कर दिखाया।

इंजीनियर की नौकरी छोड़ बेचता है गोमूत्र और गोबर, महीने में 10 लाख रु'पए कमाता है यह 26 वर्ष का युवक
इंजीनियर की नौकरी छोड़ बेचता है गोमूत्र और गोबर, महीने में 10 लाख रु’पए कमाता है यह 26 वर्ष का युवक

जानकारी के अनुसार वह युवक अभी केवल 26 वर्ष का है और अपने बिजनेस से प्रति महीना 10 लाख रुपए की कमाई कर लेता है।

दक्षिण कन्नड़ जिले के पुत्तूर तालुक के मुंडुरु गांव के रहने वाले 26 वर्षीय जयगुरु आचार हिंडर मैं स्वामी विवेकानंद कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी पुत्तुर से अपनी सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और वे अच्छी खासी नौकरी पर लग गए। उस नौकरी से उन्हें ₹’22000 प्रति माह तनख्वाह मिलती थी।

परंतु जय गुरु का नौकरी में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था। करीब 9 महीने तक उन्होंने वही नौकरी की और आखिरकार अपनी नौकरी से तंग आकर उन्होंने उस नौकरी को छोड़ने का निर्णय किया और अपने पिता के साथ पशुपालन में कुछ नया करने के बारे में सोचा।

बता दे की जय गुरु के पिता पहले से ही पशुपालन का काम करते हैं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान जयगुरु भी पशुपालन में ही नए-नए तरीके से आगे बढ़ने के लिए और इनकम को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर अनेक प्रकार के वीडियोस देखते थे और नई-नई युक्तियां लड़ाते थे। इसी में से जयगुरु ने अपने फार्म पर निकलने वाली व्यर्थ की चीजों को बेचने का नया आईडिया सोचा।

इंजीनियर की नौकरी छोड़ बेचता है गोमूत्र और गोबर, महीने में 10 लाख रु'पए कमाता है यह 26 वर्ष का युवक
इंजीनियर की नौकरी छोड़ बेचता है गोमूत्र और गोबर, महीने में 10 लाख रु’पए कमाता है यह 26 वर्ष का युवक

जयगुरु ने यूट्यूब पर वीडियो देखा था कि कैसे गाय के गोबर को सुखाकर उसे बेचा जा सकता है जिसके लिए उन्होंने पटियाला का रुख किया और वहां से गाय के गोबर को सुखाने की मशीन खरीद ली। जय गुरु रोजाना करीब 100 थैले गाय के गोबर को सुखाकर बेचते हैं।

इतना ही नहीं अपने फार्म पर से रोजाना गायों और भैंसों को नहलाने के बाद निकलने वाला पानी और गोमूत्र में गोबर को मिलाकर उससे वह पतला घोल बनाते हैं और उस घोल को टैंकर के द्वारा सप्लाई करते हैं।

जानकारी के अनुसार यह गोल खेतों में फसलों को उर्वरक के रूप में दिया जा सकता है और उर्वरक के लिए यह गोल काफी उत्तम साबित होता है जिसके कारण आसपास के सभी किसान यह घोल खरीदने के लिए जयगुरु के पास आते रहते हैं। जय गुरु ने बताया कि यह गोल बेचने से उन्हें रोजाना करीब हजारों रुप’ए की कमाई होती है क्योंकि यह गोल 9 से 10 रुप’ए प्रति लीटर बिकता है।

जयगुरु अपने फार्म पर गोंडजाल नाम का उर्वरक भी बनाते हैं। यह उर्वरक मरे हुए मवेशी से बनाया जाता है। यह उर्वरक बनाने की विधि काफी अनोखी है। जब कभी गौशाला पर कोई गाय मर जाती है तो उसे दफनाया या जलाया नहीं जाता बल्कि उसे एक बड़े टैंक में डाल दिया जाता है और उसके साथ ही उसमें गोमूत्र और छाछ समेत अन्य कई चीजें डाली जाती है।

इंजीनियर की नौकरी छोड़ बेचता है गोमूत्र और गोबर, महीने में 10 लाख रु'पए कमाता है यह 26 वर्ष का युवक
इंजीनियर की नौकरी छोड़ बेचता है गोमूत्र और गोबर, महीने में 10 लाख रु’पए कमाता है यह 26 वर्ष का युवक

बैंक के अंदर इसे 6 से 7 महीने तक ऐसे ही रहने दिया जाता है जिसके बाद गाय का शरीर पूरी तरह से निकलकर लिक्विड फॉर्म में आ जाता है बाद में यह बहुत ही सर्वोत्तम उर्वरक के रूप में फसलों के लिए उपयोग किया जाता है।

जयगुरु का फार्म कुल 10 एकड़ में फैला है और उनके पास करीब 130 पशु है। वे रोजाना 750 लीटर दूध बेचते हैं और प्रति महीना 30 से 40 लीटर घी भी बेचते हैं। जयगुरु का पूरा परिवार इस काम में उनका हाथ बटाता है। अपने इस डेरी फार्म से जय गुरु प्रति महीना 10 लाख रु’पए की कमाई कर लेते हैं। जयगुरु ने बताया कि यह काम व्यक्ति को 24 घंटे व्यस्त रखता है परंतु इस काम में वे खुद के मालिक खुद है इसलिए उन्हें यह काम करने में आनंद भी आता है और संतुष्टि भी मिलती है।

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