आखिर क्यो होता है प्यार का रंग लाल, हरा या गोल्डन क्यों नही? आईये जानते है।
दुनियां में अनगिनत रंग है। हर किसी का कोई न कोई रंग पसंदीदा होता है। लेकिन क्या आपने कभी एक चीज नोटिस की है, कि जब प्यार का नाम सुनते है तो हमे लाल रंग की ही याद क्यो आती है? इसके पीछे क्या लॉजिक है। जब भी प्यार का जिक्र होता है तो प्यार से जुड़ी हर चीज़ जैसे गिफ्ट, फूल एवं फ्लॉवर पॉट ये सब लाल रंग के ही होते है। प्यार के लिए सजना हो तब भी लाल रंग है सबसे पहले क्यो याद आता है। प्यार में ज्यादातर हर जगह लाल रंग ही इस्तेमाल होता है। लेमिन लाल रंग को हो प्यार का चिन्ह क्यो माना जाता है? हरे, या गोल्डन कलर को क्यो नही?
आइए जानते है इसके पीछे छिपे मनोवैज्ञानिक कारण.
प्राचीन है इतिहास
आपको बता दे कि मोहब्बत और लाल रंग का मेल कोई नया नही है। इसका इतिहास काफी पुराना है। ऐसा माना गया है कि 13वीं शताब्दी में फेमस फ़्रेंच कविता रोमन डे ला रोज में कहा गया है कि एक गार्डन(बगीचे में) लेखक लाल रंग का फूल खोज रहा है। उसकी कविता में लाल रंग का फूल उसके जीवन मे स्त्री प्रेम की खोज है। इसके अलावा लाल रंग का प्रेम से ताल्लुक भी है। क्योंकि लाल रंग शारारिक आकर्षण से जुड़ा हुआ है।
मनोवैज्ञानिक कारण
माना जाता है कि लाल रंग फुर्ती से भरपूर होता है। ये एक ऐसा रंग होता है कि इस रंग से हर कोई आकर्षित हो जाता है। अगर आपके आसपास लाल रंग आजाये तो आपकी नजर एक बार इस रंग पर जरूर जाएगी। इसी मनोवैज्ञानिक कारण की वजह से लाल रंग को प्यार का चिन्ह माना जाता है। इसके अलावा एक मनोवैज्ञानिक कारण ये भी है कि इंसान की बॉडी में दौड़ता खून भी लाल ही होता है। ये जीवन का प्रतीक है।