एक तरफ भारत प्रगति पथ पर तेज गति से आगे बढ़ रहा है और दूसरी तरफ देश में आज भी कई ऐसे परिवार हैं जो बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। आए दिन हम खबरों में सुनते आ रहे हैं कि कहीं ना कहीं किसी ना किसी व्यक्ति को बुनियादी सुविधाओं के अभाव में काफी परेशानियों के साथ जिंदगी गुजारनी पड़ती है।
ऐसे लोगों की मदद करने के लिए सर’कार तो योजनाएं बनाती ही है परंतु सामाजिक क्षेत्र में भी कई ऐसे लोग इन गरीब लोगों के लिए काम करते हैं जिनका बदले में कोई स्वार्थ नहीं होता। ऐसे ही निस्वार्थ भावना से बेघर लोगों का घर बनवा देने का काम केरल के कोच्चि जिले की दो शिक्षिकाओं ने किया है।
केरल के कोच्चि जिले के थोप्पुम्पडी गांव में अवर गर्ल्स कान्वेंट स्कूल संचालित है। इस स्कूल की प्रधानाचार्य शिक्षिका का नाम लीसी चक्कलक्कल है। सिस्टर लिसी ने अपनी एक सहकर्मी शिक्षिका के साथ मिलकर अपने स्कूल के गरीब और बेघर बच्चों के परिवार के लिए घर बनवाने का बीड़ा उठाया है। दोनों भी शिक्षिकाओं को इस काम में अन्य शिक्षकों और स्थानीय अमीर लोगों का भी काफी सहयोग मिला है।
सिस्टर लीसी ने इस नेक काम की शुरुआत अपने ही स्कूल की एक छात्रा का घर बनवा कर देने से की थी। सिस्टर लीसी और उनकी सहकर्मी शिक्षिका पिछले 6 वर्षों से अपने स्कूल के छात्रों के लिए घर बनवा कर देने का काम कर रही है।
दरअसल 6 साल पहले शिक्षिका ऋषि ने अपनी ही स्कूल की एक आठवीं कक्षा की छात्रा के परिवार की आर्थिक हालत पता की। उस बच्ची के घर की हालत बहुत ही दयनीय थी और उसके परिवार के पास रहने के लिए अपना घर भी नहीं था। उस समय शिक्षिका लिसी ने उस बच्ची का घर बनवा कर देने के लिए स्कूल के अन्य शिक्षकों और स्कूल में पढ़ रहे अमीर बच्चों के परिजनों से मदद मांगी और पर्याप्त धन इकट्ठा करके उस बच्ची के लिए घर बनवा कर दिया। शिक्षिका लिसीने इस नेक काम को आगे भी जारी रखा। पिछले 6 साल से कई सामाजिक संस्थाओं और हानिया अमीर लोगों की मदद से पिस्ट, ल इसी ने अब तक करीब 150 बेघर लोगों को घर बनवा कर दिए हैं।
शिक्षिका लिसी और उनकी सहकर्मी लिली पॉल ने स्कूल के अन्य छात्रों की भी जानकारी निकाली और फिर साल 2014 में यह संकल्प लिया कि आने वाले समय में वह कुल 150 घर जरूर’तमंद और बेघर लोगों को बनवा कर देंगे। उन्होंने जो घर बनवाए उनकी की’मत ₹’6 ला’ख से लेकर ₹’10 ला’ख तक है। सिस्टर लिसी ने ना केवल गरीब छात्रों को बल्कि विधवा महिलाओं अनाथ बच्चों और गरीब लोगों को भी ध्यान में रखते हुए उस दिशा में कार्य करना शुरू किया है। जब हाउसिंग चैलेंज का यह प्रोजेक्ट शुरू किया तो स्कूल की करीब 80 छात्राओं ने सिस्टर लीसी से मदद मांगी।
शिक्षिका लिसी ने बताया कि जरू-रतमंद लोगों को मदद करना उन्हें बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने यह सपना देखा है कि वह लोगों को बेघर मुक्त करके दिखाएं। इस सपने को पूरा करने के लिए ही उन्होंने यह प्रोजेक्ट की शुरुआत की है।
शुरुआत में उन लोगों को घर बना कर दिए गए जिन लोगों के पास में जमीन उपलब्ध थी। परंतु अब अपने प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाते हुए जमीन दान देने का भी काम सिस्टर इसी कर रही है। इस प्रोजेक्ट के तहत कई ऐसे लोग सामने आए जिन्होंने अपनी जमीन बेघर लोगों को दान में दे दी। सिस्टर लीसी ने बताया कि यदि लोगों का और सहयोग मिला तो वे सारे समाज को बेघर मुक्त बनाने में कामयाब हो जाएंगे।